कर्नाटक में विधायकों के इस्तीफे पर फैसला नहीं

0

सुप्रीम कोर्ट ने दिए यथास्थिति बनाए रखने का आदेश, अब 15 को सुनवाई



नई दिल्ली, 12 जुलाई (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक में विधायकों के इस्तीफे के मामले में फिलहाल यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया। कोर्ट ने 15 जुलाई को अगली सुनवाई करने का आदेश दिया। तब तक न इस्तीफे पर फैसला लिया जाएगा, न विधायकों को सदस्यता के लिए अयोग्य ठहराया जाएगा।
सुनवाई के दौरान बागी विधायकों की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि अभी तक स्पीकर ने विधायकों के इस्तीफे पर अपना निर्णय नहीं लिया है। उन्होंने कहा कि दरअसल, स्पीकर दो घोड़ों की सवारी कर रहे हैं। स्पीकर ने कहा है कि SC मुझे आदेश नहीं दे सकता। दूसरी ओर स्पीकर ये भी कह रहे हैं कि उन्हें इस्तीफों की वजह की जांच के लिए समय चाहिए। एक तरह से ये दोनों तरफ की बात कर रहे हैं। रोहतगी ने कहा कि मुद्दा इस्तीफे पर फैसला लेने का है। विधानसभा में स्पीकर के अधिकार क्षेत्र से कोई लेना देना नहीं। स्पीकर का मकसद इस्तीफे को लंबित रखकर विधायकों को अयोग्य करार देने का है, ताकि ऐसे में इस्तीफे निष्प्रभावी हो जाएं। रोहतगी ने कहा कि अगर स्पीकर इस्तीफे पर फैसला नहीं लेते तो सीधे-सीधे कोर्ट की अवमानना है। स्पीकर चाहते हैं कि इस्तीफे के आवेदन को लंबित रख कर बागी विधायकों को अयोग्य घोषित किया जाए।
विधानसभा के स्पीकर की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि 1974 के संशोधित कानून के तहत विधायकों के इस्तीफों को तब तक मंजूर नहीं किया जा सकता जब तक जांच में यह साबित नहीं हो जाता कि इस्तीफा सही है या नहीं। उन्होंने कहा कि 10 बागी विधायक इस्तीफा इसलिए दे रहे हैं ताकि ये स्पीकर द्वारा उन्हें अयोग्य ठहराने की कार्रवाई से बच सकें। तब चीफ जस्टिस ने पूछा कि आपकी दलील है कि सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में सुनवाई का अधिकार नहीं है? क्या आप कोर्ट के अधिकार को चुनौती दे रहे हैं? क्या आपका यह कहना है कि इस्तीफे से पहले अयोग्यता तय करने के लिए आप संवैधानिक रूप से बाध्य हैं? तब सिंघवी ने कहा कि आपने बिल्कुल सही समझा। दो विधायकों ने अयोग्यता प्रक्रिया शुरू होने के बाद इस्तीफा दे दिया। आठ विधायकों ने यह प्रक्रिया शुरू होने से पहले इस्तीफा दिया, परंतु उन्होंने इस्तीफा खुद आकर नहीं दिया।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी की ओर से वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने कहा कि किस आधार पर सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में दखल देने को कहा गया है? वहां सरकार अल्पमत में है या वहां पर कुशासन है? स्पीकर के एक्शन के खिलाफ एक भी शब्द नहीं है। धवन ने कहा कि इस्तीफों पर विचार करते समय स्पीकर की क्या जिम्मेदारी है। उन्हें यह देखना होता है कि इस्तीफे स्वैच्छिक और वास्तविक हों। स्पीकर ने कहा है कि वे इस्तीफों पर जल्द फैसला लेंगे। मैं केवल एक केस जानता हूं वो हरियाणा विधानसभा का है। उस मामले में हाईकोर्ट ने स्पीकर को 4 महीने का वक्त दिया था। किसी भी मामले में धारा 32 के तहत कोई याचिका दायर नहीं की गई। उनका कहना है कि अयोग्यता इस्तीफे से अलग हैं। मैं इस बात से सहमत हूं कि वे अयोग्य घोषित नहीं होना चाहते हैं। बाद में मुकुल रोहतगी ने कहा कि 8 विधायकों के इस्तीफे अयोग्यता प्रक्रिया शुरु होने से पहले दिए गए।

 


प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *