रियाद, 07 जून (हि.स.)। भारत समेत दुनिया के दूसरे देशों की तरफ से हज के आवेदन सम्बंधी तमाम तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। हज में अब डेढ़ माह से कम समय भी बचा है। इसके बावजूद कोरोना संकट की वजह से अब तक सऊदी अरब की सरकार के जरिए इस साल के हज को लेकर विस्तृत कार्यक्रम की घोषणा नहीं की गई है। अब कुछ हद तक हालात काबू में आने के बाद इसकी जल्द की घोषणा की जा सकती है।
इस तरह के संकेत सऊदी अरब के हज, स्वास्थ्य एवं वाणिज्य मामलों के मंत्री माजिद अल-कसाबी ने रियाद में आयोजित एक प्रेसवार्ता के दौरान दिए हैं। उन्होंने कहा कि कोराना वायरस में लगातार हो रहे म्यूटेशन, बहुत से देशों में वैक्सीनों की आपूर्ति में हो रही देरी और उनको लेकर अनिश्चितता जैसे कारणों से इस बात की घोषणा में विलंब हुआ है कि इस बार का हज यात्रा कैसे होगी? हालांकि इस दौरान उन्होंने उम्मीद जाहिर की कि इस साल के हज सीजन के कार्यक्रम का ऐलान जल्द कर दिया जाएगा।
इससे पूर्व कोरोना संकट के कारण इस साल भी हज यात्रा को रद्द किए जाने या उसे बहुत सीमित संख्या में कराए जाने की उम्मीदें जताई जाती रही हैं। यह भी खबरें आईं कि सऊदी अरब की सरकार इस बार हाजियों की संख्या को काफी सीमित करके हर देश से महज चंद हजार हज यात्रियों को भेजने का अनुरोध कर सकती है। ऐसे में भारत जैसी विशाल जनसंख्या वाले देश के दो लाख हज यात्रियों के कोटे को इस बार महज तीन-हजार तक किया जा सकता है। इन हालात में हज यात्रा के लिए इच्छुक लोगों को इसके लिए कई गुना रकम अदा करनी पड़ेगी क्योंकि होटलों और दीगर जगहों पर लोगों पर भीड़ नहीं होने दी जाएगी। सामाजिक दूरी पर अमल कराने के लिए ऐसा किया जाएगा। ऐसे में उन्हें होटल के किरायों और परिवहन इत्यादि के लिए ज्यादा रकम देनी होगी।
हालांकि अब तक सऊदी सरकार के जरिए इस पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। हज मंत्री माजिद अल-कसाबी के जरिए अब इसकी जल्द घोषणा होने के संकेत मिले हैं। इस मौके पर अल-कसाबी ने कहा कि सऊदी अरब में कोरोना वायरस रोधी वैक्सीन अनिवार्य नहीं है लेकिन अगर हम साथ-साथ रहना चाहते हैं, बाजार, स्कूल और काम पर जाना चाहते हैं तो हमें टीके लगवाने चाहिए। उन्होंने बताया कि सऊदी अरब में अब तक डेढ़ करोड़ टीकों की खुराक दी जा चुकी है। इस दौरान उन्होंने दीगर मुद्दों पर भी सऊदी सरकार के स्टैंड को व्यक्त करते हुए कहा कि फिलिस्तीन मसले और फिलिस्तीनियों के अधिकारों पर सऊदी अरब अपने पूर्व रुख पर कायम है।