बिहार चुनाव मेंं सरयू राय भरेंगे हुंकार

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रांची, 16 सितंबर (हि.स.)

बिहार विधानसभा चुनाव की सियासी गूंज झारखंड में भी सुनाई दे रही है। चुनाव को लेकर बयानों का दौर भी शुरू हो चुका है। ऐसे में झारखंड के जमशेदपुर पूर्वी के निर्दलीय विधायक सरयू राय के बयान सुर्खियों में हैं। हालांकि सरयू राय अपने मुखर बयान के लिए ही जाने जाते हैं। पूववर्ती रघुवर दास सरकार में खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री रहे सरयू राय ने किसी निर्णय पर सहमति नहीं होने पर हमेशा ही मुखर होकर सरकार की आलोचना करने से भी कभी परहेज नहीं किया।

सरयू राय ने पहले भी कई घोटालों को उजागर करने में अपनी अहम भूमिका निभाई है। कुछ दिन पहले ही  उन्होंने ‘मेनहर्ट नियुक्ति घोटाला, लम्हों की खता’ पुस्तक लिखा। पुस्तक में मुख्य रूप से परामर्शी के चयन में हुई अनियमितता और भ्रष्टाचार को उजागर किया है। लालू प्रसाद यादव को जेल तक पहुंचाने में उनकी भूमिका किसी से छिपी नहीं है। ऐसे में आजकल उनके एक बयान ने झारखंड ही नहीं बिहार की राजनीति में भी खलबली मचा दिया है। उनका यह कहना कि लालू का कर्ज चुकाने के लिए वे उनकी ओर से प्रचार कर सकते हैं। अब सुर्खियों में विधायक सरयू राय का वो बड़ा बयान आ गया है, जिस सरयू राय ने जमशेदपुर पूर्वी में रघुवर दास को घेर कर चुनाव हराया और झारखंड में भाजपा की मिट्टी पलीद कर दी। उन्होंने एक बार फिर रघुवर दास के बहाने ही बिहार में भाजपा को घेरने के संकेत दे दिए हैं। हालांकि, सरयू राय ने जब लालू का कर्ज उतारने के लिए लालू के पक्ष में बिहार में चुनाव प्रचार करने का ऐलान किया तो बिहार की सियासत में खलबली मच गयी।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सरयू राय से फोन पर बात की। सरयू के तेवर जदयू को लेकर नरम और भाजपा को लेकर गरम है। सरयू राय एक तरफ कर्ज उतारने की बात भी करते हैं तो दूसरी तरफ नीतीश कुमार के ही बिहार में मुख्यमंत्री बनने का दावा भी करते हैं। बिहार चुनाव में इतिहास वाली करप्शन की बजाए भाजपा के झारखंड वाली वर्तमान करप्शन की बात को बिहार चुनाव में ले जाने की बात करते हैं।

सरयू राय के बयान पर कांग्रेस के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष और जामताड़ा विधायक इरफान अंसारी ने कहा कि वे बड़े नेता हैं। उनकी अपनी पहचान है। ये बात सही है कि सरयू राय ने एक मुख्यमंत्री को हराया है। आप बिहार जाएं, झारखंड में जो कीर्तिमान किया है, बिहार में भी कीर्तिमान करें और नीतीश कुमार को वहां हराइये ये मेरी राय होगी। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि वह भाजपा के खिलाफ प्रचार करना चाहते हैं और जदयू को समर्थन करना चाहते हैं। साथ ही ये भी कहते हैं लालूजी के कर्जदार हैं। उनके बयान से लगता है वो खुद कन्फ्यूज्ड हैं। उनको शायद पता नहीं है कि नीतीश कुमार और भाजपा बिहार में एक साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। नीतीश कुमार ने राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) के सामने घुटने टेक दिए हैं। लालू जी सेक्युलर हैं। अब उनको तय करना है किसके पक्ष में वो प्रचार करेंगे।

इधर, सरयू राय के बयान पर जदयू महासचिव प्रवीण सिंह ने कहा बिहार में नीतीश जी के नेतृत्व में एनडीए मिलकर चुनाव लड़ रही है। मुस्तैदी से लड़ रही है। उन्होंने कहा कि सरयू राय को झारखंड की जनता ने बहुत प्रेम दिया है, तीन-तीन बार विधायक रहे हैं। इस बार तो राज्य के मुख्यमंत्री को हराकर उनको विधायक बनाया गया है, वहां की चिंता करें।

भाजपा के रांची विधायक सीपी सिंह ने कहा कि आज के दिन सरयू राय किसी दल में नहीं हैं, जब किसी दल में नहीं हैं तो स्वतंत्र हैं। किसके पक्ष में बोलेंगे, किसके पक्ष में चुनाव प्रचार करेंगे, ये तो उनके ऊपर है। राजनीति में आज के दिन कितना नैतिकता रह गया है भगवान मालिक है। उन्होंने कहा कि राजनीति में जो चारित्रिक पतन हुआ है ये पराकाष्ठा है। लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत चुनाव होंगे तो घमासान भी होंगे। समीकरण भी बदलते रहते हैं। कौन क्या बयान देता है उस पर प्रतिक्रिया नहीं देंगे वो उनका विचार है, हम किसी के विचार को बदल नहीं सकते।

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि बिहार विधानसभा चुनाव में सरयू के सियासी बयान से सभी उलझ गये हैं। अब तो आने वाला वक्त ही बतायेगा कि सरयू राय किस पक्ष की ओर से चुनाव प्रचार करते हैं।

 


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