सारदा चिटफंड मामले में आखिरकार सीबीआई दफ्तर पहुंचे आईपीएस राजीव कुमार.

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अरबों रुपये के सारदा चिटफंड घोटाला मामले में साक्ष्यों को मिटाने के आरोपित कोलकाता पुलिस के पूर्व आयुक्त राजीव कुमार पहली बार कोलकाता में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के दफ्तर में पहुंचे हैं।



कोलकाता, 07 जून (हि.स.)। अरबों रुपये के सारदा चिटफंड घोटाला मामले में साक्ष्यों को मिटाने के आरोपित कोलकाता पुलिस के पूर्व आयुक्त राजीव कुमार पहली बार कोलकाता में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के दफ्तर में पहुंचे हैं। शुक्रवार सुबह 11:00 बजे के करीब वह सॉल्टलेक सीजीओ कॉम्प्लेक्स स्थित जांच एजेंसी के दफ्तर में पहुंचे। बताया गया है कि उनसे मैराथन पूछताछ होगी।
गत 3 फरवरी को उन्हें सीबीआई के नोटिस के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी 70 घंटे तक धरने पर बैठ गई थीं। सीबीआई अधिकारियों को भी जबरदस्ती घसीटते हुए गिरफ्तार कर लिया गया था। इसके बाद कुमार ने खुद को बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट तक का चक्कर लगाया है। बावजूद इसके उन्हें सीबीआई के सामने पेश होना पड़ा है। कोलकाता पुलिस की ओर से 6 बॉक्स में भरे ऐसे दस्तावेज सीबीआई को दिए गए हैं जिसे कोलकाता पुलिस ने आजतक छुपा कर रखा था। चिटफंड मामले की जांच के लिए राज्य सरकार की ओर से गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) के मुखिया राजीव कुमार थे इसीलिए उन्होंने इन दस्तावेजों को सीबीआई को क्यों नहीं सौंपा था, इस बारे में उनसे पूछताछ की जाएगी। इसके अलावा साक्ष्यों को मिटाने के मामले में भी उनसे मैराथन पूछताछ होनी है।
माना जा रहा है कि अब उनकी मुश्किलें बढ़ेंगी। जांच एजेंसी के सूत्रों के हवाले से इस बात की पुष्टि की गई है कि राजीव कुमार से पूछताछ शुरू कर दी गई है। इस मामले की प्राथमिक जांच से लेकर शारदा समूह के मिडलैंड पार्क स्थित दफ्तर से एक ट्रक से अधिक दस्तावेजों को बरामद करने के संबंध में उनसे जानकारी ली जाएगी। हालांकि हाईकोर्ट ने फिलहाल उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा कर रखी है इसलिए जांच एजेंसी उनके खिलाफ सख्ती तो नहीं बरत सकती है लेकिन जांच में सहयोग नहीं करने पर उन्हें बार-बार समन भेजा जा सकता है। 12 जून के बाद उच्च न्यायालय खुलेगा और 14 जून से उनकी याचिका पर लगातार सुनवाई होगी।
इधर, सीबीआई सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि राजीव कुमार के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी है। सीबीआई के पास 6 पेटी ऐसे दस्तावेज जमा कराए गए हैं जो राज्य सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) ने वर्ष 2013 में ही जब्त किया था। बताया गया है कि ये सारे दस्तावेज सारदा समूह द्वारा खरीदी गई संपत्तियों से संबंधित हैं। राजीव कुमार के नेतृत्व में गठित एसआईटी ने इन दस्तावेजों को जब्त किया था। 2014 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर सीबीआई ने इस मामले की जांच शुरू की थी तब कायदे से ये सारे दस्तावेज सीबीआई को दे दिए जाने चाहिए थे। इसे सारदा समूह के मिडलैंड पार्क स्थित मुख्यालय से जब्त किया गया था।
2014 से लेकर 2019 तक सीबीआई की टीम इसे मांग रही थी लेकिन पुलिस दे नहीं रही थी। इसके बाद एक तरफ राजीव कुमार पर नकेल कसा गया और दूसरी तरफ विशेष जांच दल के दूसरे नंबर के अधिकारी रहे अर्णव घोष से 16 घंटे तक जांच अधिकारियों ने पूछताछ की है। सीबीआई सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि उन्होंने पूरी तरह से जांच में सहयोग किया और कई ऐसी जानकारियां दी हैं जो राजीव कुमार के लिए गले की फांस बन चुकी है।
फरवरी महीने में जब सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर सीबीआई ने राजीव कुमार से शिलांग सीबीआई दफ्तर में करीब 5 दिनों तक लगातार पूछताछ की थी तब उन्होंने सीबीआई के कई सारे सवालों का जवाब नहीं दिया था। राजीव ने यह भी कहा था कि वह भले ही एसआईटी के प्रमुख थे लेकिन उस समय के विधाननगर खुफिया विभाग के उपायुक्त अर्णव घोष ने जांच संबंधी अधिकतर निगरानी की थी और उन्हें कई सारी जानकारियां नहीं दी गई थी। हालांकि उन्होंने सीबीआई को बताया है कि सारदा मामले की जांच में उन्होंने एक भी कदम अपनी मर्जी से नहीं उठाया बल्कि जो कुछ भी राजीव कुमार निर्देश देते थे, केवल वही होता था। इसलिए ये दोनों बयान बेहद अहम हैं और सीबीआई के लिए खास भी हो गए हैं।

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