लखनऊ, 30 जुलाई (हि.स.)। अमेठी से कांग्रेस के टिकट पर राज्यसभा सांसद बने संजय सिंह ने मंगलवार को कांग्रेस एवं राज्यसभा सांसद दोनों से इस्तीफा देने की घोषणा कर दी। संजय सिंह ने कांग्रेस छोड़ने के बाद बुधवार को भाजपा में शामिल होने का भी ऐलान किया है। उनके साथ उनकी पत्नी अमिता सिंह ने भी कांग्रेस छोड़ दी है। हालांकि संजय सिंह की पहली पत्नी गरिमा सिंह मौजूदा समय में अमेठी से भाजपा की विधायक हैं।
संजय सिंह ने इस्तीफे के बाद कहा, ‘मैं कांग्रेस इसलिए छोड़ रहा हूं क्योंकि कांग्रेस नेतृत्व जीरो है। मैं ‘सबका साथ सबका विकास’ के कारण मोदी का समर्थन करता हूं।’ उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस अभी भी अतीत में है, उसे भविष्य का पता नहीं है। आज पूरा देश पीएम मोदी के साथ है और अगर देश उनके साथ है तो मैं भी उनके साथ हूं। कल मैं भाजपा ज्वॉइन करूंगा। मैंने पार्टी और राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया है। संजय सिंह की पत्नी अमिता सिंह ने भी कांग्रेस छोड़ दी है। अमिता सिंह ऑल इंडिया प्रोफेशनल कांग्रेस (यूपी) की अध्यक्ष थीं।संजय सिंह ने कहा, ‘1984 से कांग्रेस के साथ रिश्ता है। पार्टी छोड़ने का फैसला कांग्रेस को किसी भी तरह प्रभावित नहीं करेगा। पिछले 15 साल में कांग्रेस में जो कुछ हुआ, वह पहले कभी नहीं हुआ। बहुत कुछ सोचने के बाद मैंने यह निर्णय लिया है।’
संजय सिंह 1998 में अमेठी संसदीय सीट से कांग्रेस के कैप्टन सतीश शर्मा को हराकर सांसद चुने गए थे। इसके बाद वह अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे। राहुल गांधी के कांग्रेस में एंट्री करने के बाद उन्होंने भाजपा छोड़कर कांग्रेस में वापसी की। 2009 के लोकसभा चुनाव में संजय सिंह सुल्तानपुर सीट से सांसद चुने गए थे। सन् 1980 के राजनीतिक परिदृश्य में संजय गांधी को संजय सिंह ने अपना समर्थन दिया था। इसी वक्त संजय सिंह का नेहरू-गांधी परिवार से गहरा नाता बना। बाद में संजय सिंह राजीव गांधी के अच्छे मित्र बन गए और कांग्रेस में उनकी भूमिका अहम होती गई। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल में संजय सिंह की उत्तर प्रदेश के मुद्दों पर अहम राय ली जाती थी। कुछ समय से उनसे कांग्रेस नेताओं की वार्ता नहीं हो पा रही थी। वे असम से राज्यसभा के सांसद थे और उनका कार्यकाल अभी एक साल बचा हुआ था।