गर्भवती होने की वजह से सफूरा ज़मानत की हक़दार नहीं: दिल्ली पुलिस

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नई दिल्ली, 22 जून (हि.स.)। दिल्ली पुलिस ने दिल्ली हिंसा के मामले में यूएपीए कानून के तहत गिरफ्तार जामिया यूनिवर्सिटी की छात्रा सफूरा जरगर की ज़मानत अर्जी का विरोध किया है। दिल्ली पुलिस ने दिल्ली हाई कोर्ट में दाखिल जवाब में कहा है कि गर्भवती होने की वजह से सफूरा ज़मानत की हक़दार नहीं हो सकती। उसके खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं। कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को इस मामले पर निर्देश लेकर आने का निर्देश दिया। इस मामले पर सुनवाई कल यानि 23 जून को भी जारी रहेगी।
दिल्ली पुलिस ने सफूरा की ज़मानत अर्जी का विरोध करते हुए कहा है कि प्रेग्नेंसी के मद्देनजर जेल में नियमों के मुताबिक उसे ज़रूरी मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। पिछले 10 साल में जेल में 30 डिलीवरी हो चुकी है। नियमों के मुताबिक गर्भवती कैदियों का जेल में पर्याप्त ध्यान रखा जाता है। आज सुनवाई के दौरान तुषार मेहता ने इस मामले की सुनवाई कल तक के लिए टालने की मांग की। उन्होंने कोर्ट से कहा कि कुछ मसलों पर निर्देश लेने की जरूरत है। तब याचिकाककर्ता के वकील नित्या रामकृष्णन ने इसका विरोध करते हुए कहा कि सफूरा की स्थिति काफी खराब है। एएसजी अमन लेखी ने भी इस मामले पर कल तक के लिए सुनवाई स्थगित करने की मांग की। तब रामकृष्णन ने कहा कि तब सफूरा को अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाए।
वकील राहुल मेहरा ने हाई कोर्ट के 29 मई के उस आदेश का हवाला दिया जिसमें कहा गया है कि उप-राज्यपाल केवल दिल्ली सरकार की मंत्रिपरिषद की सलाह पर ही स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्युटर नियुक्त कर सकता है। राहुल मेहरा ने कहा कि अगर केंद्र चाहती है कि कुछ चुनिंदा वकील ही दिल्ली पुलिस का प्रतिनिधित्व करे तो वह फैसला भी उप-राज्यपाल बिना मंत्रिपरिषद की सलाह से नहीं ले सकते हैं। मेहरा ने कहा कि इस मामले में स्टेटस रिपोर्ट उनके दफ्तर से होकर जाना चाहिए क्योंकि वे दिल्ली सरकार के क्रिमिनल मामलों के प्रतिनियुक्त वकील हैं। मेरे दफ्तर को केवल पोस्ट ऑफिस नहीं समझा जाना चाहिए।
मेहरा की दलीलों का अमन लेखी ने विरोध करते हुए कहा कि यह गलत है कि दिल्ली पुलिस के केस में केवल राहुल मेहरा ही पेश हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार का वकील अपनी तुलना केंद्र के वकील से नहीं कर सकता है खासकर जब केंद्र के हित उससे जुड़े हुए हों। लेखी ने कहा कि राहुल मेहरा की दलीलों से कोर्ट का ध्यान वर्तमान मामले से भटक सकता है। मेहरा की दलीलें खारिज की जानी चाहिए। उसके बाद कोर्ट ने मामले की सुनवाई कल तक के लिए स्थगित करते हुए तुषार मेहता को पूरी तैयारी और निर्देश के साथ आने का निर्देश दिया।
हाई कोर्ट ने पिछले 18 जून को दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया था। सफूरा जरगर ने दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट की ओर से पिछले 4 जून को जमानत याचिका खारिज करने के फैसले को चुनौती दी है। सुनवाई के दौरान सफूरा जरगर की ओर से कहा गया था कि वो 21 हफ्ते की गर्भवती है और वो पोलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम से पीड़ित है। उसे इस बीमारी से अपने गर्भ के मिसकैरिज होने का खतरा है।
सुनवाई के दौरान पिछले 30 मई को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने जरगर की जमानत अर्जी का विरोध करते हुए कहा था कि उसने भड़काऊ भाषण दिया था। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल से पूछा था कि दिल्ली में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शनों और यूएपीए में क्या संबंध है। तब स्पेशल सेल ने कहा था कि सफूरा जरगर ने दंगा फैलाने के मकसद से भड़काऊ भाषण दिया था। इसके लिए पहले से तैयारी की गई थी। इसीलिए सफूरा जरगर को यूएपीए के तहत गिरफ्तार किया गया है। सफूरा जरगर ने दिल्ली के कई हिस्सों में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शनों में हिस्सा लिया था। सफूरा जरगर ने जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के बाद रोड जाम कराने में अहम भूमिका निभाई थी।
कोर्ट ने पिछले 26 मई को सफूरा जरगर की न्यायिक हिरासत 25 जून तक बढ़ा दिया था। सफूरा जरगर को दिल्ली पुलिस ने 11 अप्रैल को गिरफ्तार किया गया था। जरगर के खिलाफ उत्तर-पूर्वी दिल्ली के जाफराबाद इलाके प्रदर्शनकारियों को उकसाने का आरोप है। पुलिस के मुताबिक 22 फरवरी की रात नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ महिलाएं जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के नीचे बैठ गई थीं। सफूरा जरगर पर आरोप है कि उसी दौरान सफूरा भीड़ को लेकर वहां पहुंची और हिंसा की साजिश रची। इसके बाद उत्तर-पूर्वी जिले में कई दिनों तक हिंसा होती रही जिसमें कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई थी और दौ सो ज्यादा लोग घायल हो गए थे । सफूरा जरगर जामिया कोआर्डिनेशन कमेटी की मीडिया प्रभारी थी।

 


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