महामारी और नवरात्र व्रत के बीच संन्यासी मुख्यमंत्री का कर्मयोग

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कोरोना से जारी जंग में रात दिन मेहनत कर रहे योगी आदित्यनाथ



लखनऊ, 31  मार्च (हि.स.)। श्रीमद्भगतद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने जिस कर्मयोग की शिक्षा दी, वह आधुनिक दुनिया में प्रबंधन का एक श्रेष्ठ अध्याय बन चुका है। ठीक उसी तरह वर्तमान परिवेश में कोरोना जैसी वैश्विक महामारी और नवरात्र व्रत के बीच अपने दायित्वों का कुशलतापूर्वक पालन करते हुए उत्तर प्रदेश के संन्यासी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज समूचे विश्व को कर्मयोग का संदेश देते दिख रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 मार्च की आधी रात से कोरोना के खिलाफ जंग का ऐलान करते हुए पूरे देश में संपूर्ण लाॅकडाउन की घोषणा की और 25 मार्च से ही नवरात्र पर्व प्रारम्भ हुआ। ऐसे में एक संन्यासी मुख्यमंत्री के सामने आध्यात्मिक तप और शासकीय दायित्व के बीच सामंजस्य बिठाने की बड़ी चुनौती थी।
मुख्यमंत्री योगी नौ दिन का व्रत रखते हैं। लाॅकडाउन और नवरात्र दोनों का आज सातवां दिन है। इन सात दिनों के दौरान मुख्यमंत्री ने व्रत के सभी अनुष्ठानों का पालन करते हुए कोरोना के खिलाफ जारी जंग में भी प्रदेश को अगली कतार में रखा। 27 और 28 मार्च को दिल्ली से भगाए गये बिहार और उप्र के हजारों मजदूरों व कामगारों का प्रदेश की सीमा पर जब जमावड़ा लगा पूरा देश कांप गया। लोग कहने लगे कि भारत अब कोरोना से जंग हार जाएगा। लेकिन, संन्यासी मुख्यमंत्री ने कमान संभाल ली और बगैर उफ किये पूरी राज जागकर बार्डर पर जमा सभी मजदूरों को उनके गंतव्य पर सकुशल भेजने और उनके खान-पान की समुचित व्यवस्था मुकम्मल की।
यद्यपि इन कामगारों में काफी लोग बिहार और अन्य प्रदेशों के थे और उन राज्यों की सरकारों ने अपनी सीमा को सील कर दिया था, फिर भी योगी विचलित नहीं हुए। उन्होंने कहा कि जो लोग भी उत्तर प्रदेश में आ गये हैं, उन सबके रहने, खाने और स्वास्थ्य की रक्षा करने की जिम्मेदारी हमारी है। इस वक्त पर बड़ा दिल दिखाते हुए योगी ने कहा कि वह अन्य राज्यों के सामने उप्र जैसी चुनौती नहीं आने देंगे। दूसरे दिन जब ये मजदूर यूपी रोडवेज की बसों से विभिन्न जिलों में पहुंचने लगे तो मुख्यमंत्री उनके बीच पहुंचकर उनका हालचाल पूंछे और सभी को पूरी सुविधा मुहैया कराने को आश्वस्त भी किया।
इसके बाद मुख्यमंत्री ने तत्काल देश के करीब 20 राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखा और सभी से अनुरोध किया कि उनके राज्य में उप्र के जो लोग भी कार्यरत हों उन्हें इस समय वहीं रहने दें और उनकी पूरी व्यवस्था करें। इसमें जो भी खर्च आयेगा उसका पूरा वहन उप्र सरकार करेगी।
अब प्रश्न यह उठता है कि मुख्यमंत्री योगी इस विषम परिस्थिति में कैसे व्यवस्थित कर पा रहे हैं। उनसे जुड़े लोगों की माने तो योगी आदित्यनाथ एक अनुशासित दिनचर्या का पालन करते हैं। प्रतिदिन वह भोर में चार बजे उठ जाते हैं। फिर स्नान, ध्यान, योग के पश्चात 6.30 बजे से अखबारों से फीडबैक लेते हैं। इसके बाद लोगों से फोन पर बात करके पूरे प्रदेश का हाल चाल लेते हुए 9.30 तक वह सरकारी काम शुरू कर देते हैं।
हालांकि, कोरोना के चलते पिछली कई रातों से वह ठीक से सोए नहीं हैं। फिर भी उनकी दिनचर्या प्रभावित नहीं हो पा रही है। सोमवार की ही बात करें तो प्रतिदिन की तरह सुबह 9.30 बजे वह शासकीय कार्य में लग गये। सबसे पहले बैंक और पंचायती राज के अधिकारियों से मुलाकात कर मनरेगा श्रमिकों के भुगतान की पूरी प्रक्रिया समझी। इसके बाद 10 बजे उन्होंने मनरेगा श्रमिकों के हित में एक बटन दबाकर छह सौ 11 करोड़ रुपये का सीधा भुगतान करवाया। फिर लाभार्थियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये बात की।
यह कार्यक्रम 11.30 बजे समाप्त होते ही करोना को लेकर रोजाना की तरह टीम इलेवन के अधिकारियों के साथ बैठक की। सभी को जरूरी हिदायत देकर वह नोएडा के दौरे पर निकल गए। वहां एरियल सर्वे किया, बैठकें की और देर रात तक अधिकारियों के साथ समीक्षा करते रहे।
मंगलवार को फिर भोर में जल्दी उठे। स्नान-ध्यान आदि करने के बाद गाजियाबाद निकल गये, अस्पतालों का मुआयना किया। तबलीगी जमात का मसला आ गया, लिहाजा अन्य कार्यक्रमों को रद्द कर गाजियाबाद से ही लखनऊ वापस आ गये। दोपहर 12.15 पर आवास पहुँचे और 12.30 पर टीम ग्यारह के अधिकारियों के साथ बैठक शुरू कर दी। अपराह्न दो बजे बैठक खत्म होने के बाद जरूरी कागजों पर दस्तखत किए और प्रदेश भर का फीडबैक लिया। शाम को सात बजे मेरठ और सहारनपुर मंडलों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग करेंगे।

 


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