शहाबुद्दीन पर दर्ज हो गया था पहला आपराधिक मामला बालिग होते ही

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शहाबुद्दीन सीवान से चार बार सांसद और दो बार विधायक रहे



पटना, 1 मई (हि.स.)। कोरोना के कारण आखिरकार बिहार के बाहुबली व सीवान के पूर्व सांसद शहाबुद्दीन की जीवन लीला शनिवार की सुबह समाप्त हो गई। सुबह  उनकी मौत की खबर पर ऊहापोह की स्थिति थी । नई दिल्ली में  तिहाड़ जेल प्रशासन ने इसकी पुष्टि कर दी। इसके बाद से राजद नेताओं के शोक संदेश आने का सिलसिला जारी  है। सीवान के दो भाइयों की नृशंस हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा होने के बाद से बाहुबली नेता व पूर्व सांसद शहाबुद्दीन लगातार जेल में थे। पहले उन्हें सीवान जेल में रखा गया था। कुछ समय बाद उन्हें भागलपुर जेल भेज दिया गया था। बाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश  के बाद शहाबुद्दीन को दिल्ली की तिहाड़ जेल में भेज दिया गया था । कोरोना पाॅजिटिव होने के बाद 20 अप्रैल को उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां शुक्रवार शाम से ही उनकी स्थिति गंभीर थी। उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था।शनिवार सुबह चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
आम आदमी से अपराधी और नेता बने बाहुबली शहाबुद्दीन का अपराधिक इतिहास काफी लम्बा रहा है। शाहबुद्दीनन पर 19 साल की उम्र में  दर्ज हुआ था पहला आपराधिक मामला ।एक समय में पूरे बिहार में उनकी तूती बोलती थी। उनके नाम से ही सीवन के लोगों में खौफ था। शहाबुद्दीन ने पहले अपराध की दुनिया में  कदम रखा और फिर राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के संरक्षण में राजनीति में अपना दमखम दिखाया। उस जमाने में भी मात्र 19 साल की उम्र में ही शहाबुद्दीन पर पहला मामला दर्ज हुआ था। फिर क्या था। अपराध की दुनिया शहाबुद्दीन को इतना भाया कि उन्होंने  फिर पीछे  नहीं देखा और बिहार में अपराध और जुर्म की दुनिया में अपनी पैठ बना ली।
अपराध की दुनिया से फिर वापस नहीं लौटे शहाबुद्दीन
10 मई 1967 को जन्मे मोहम्मद शहाबुद्दीन ने भले ही अपराध की दुनिया में अपना पहला कदम बिहार के सीवान जिले में रखा लेकिन बहुत कम समय में उनका खौफ पूरे बिहार में फैल गया। उनपर जब 19 साल की उम्र में पहला मामला दर्ज हुआ तो फिर  पीछे मुड़कर नहीं देखा। स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद  शहाबुद्दीन ने  आपराधिक दुनिया के सहारे बिहार की राजनीति में भी अपने पैर पसारे और इसमें उनके राजनीतिक गुरू बने राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव। उनकी दबंग छवि को देखते हुए राजद सुप्रीमो ने उन्हें अपना शागिर्द बनाया। लालू यादव की छत्रछाया में शहाबुद्दीन को राजनीति में भी सफलता मिली, वह चार बार सीवान से राजद की सीट से सांसद और दो बार विधायक रहे। लेकिन दुर्भाग्यवश  उम्र और रुतबे के अनुसार वह ज्यादा दिनों तक राजनीति नहीं कर पाये, क्योंकि इस बीच पुलिस ने उन्हें  ए कैटेगरी का हिस्ट्रीशीटर घोषित कर दिया।
अपराध के बाद राजनीति से प्रेरित  शहाबुद्दीन का जलवा कम समय में ही राजनीति में भी कायम हो गया। जनता दल की युवा इकाई से  लालू प्रसाद यादव के संरक्षण में राजनीति में प्रवेश  करने वाले शहाबुद्दीन ने खूब नाम कमाया। 1990 में वे  पहली बार सीवान से विधायक चुने गये। 1995 में भी उन्होंने विधायक का चुनाव जीतकर पार्टी को अपनी राजनीतिक ताकत का अहसास कराया। शहाबुद्दीन की बढ़ती सियासी ताकत को देखते हुए उन्हें लोकसभा का टिकट दिया गया। शहाबुद्दीन ने यहां भी बाजी मार ली। पहली बार 1996 में सीवान से शहाबुद्दीन को सांसद चुना गया। लालू प्रसाद की आंखों के तारे शहाबुद्दीन की राजनीतिक हैसियत लगातार बढ़ती रही। 1997 में जब लालू प्रसाद यादव ने राष्ट्रीय जनता दल ( आरजेडी ) का गठन किया तो शहाबुद्दीन की ताकत सत्ता के साथ और दुगनी हो गई। वह आरजेडी के  उपाध्यक्ष भी रहे।  इसके बाद शहाबुद्दीन सीवान से चार बार सांसद और दो बार विधायक रहे।  अपहरण के मामले में वह चुनाव में खड़े होने से वंचित हो गये थे।
2017  में एसिड अटैक के मामले में उन्हें उम्रकैद की सजा हुई थी।  मोहम्मद शहाबुद्दीन पर फिलहाल  30 मुकदमें  दर्ज थे ।

 


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