नई दिल्ली, 19 जनवरी (हि.स.)। अमेरिकी प्रतिबंधों के खतरों के बावजूद रूस से खरीदे जा रहे एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम का प्रशिक्षण लेने के लिए भारत का पहला बैच जल्द ही मास्को रवाना होगा। रूसी दूतावास ने मंगलवार को एस-400 प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों के लिए रूस जाने वाले वायुसेना के 8 सदस्यों की विदाई से पहले एक समारोह की मेजबानी की। इस दौरान अपने स्वागत भाषण में भारत में रूसी राजदूत निकोले आर. कुदाशेवने कहा कि एस-400 आपूर्ति पर समझौता रूस और भारत के बीच विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी का स्तंभ है।
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान अक्टूबर, 2016 को भारत और रूस ने पांच एयर डिफेंस सिस्टम एस-400 खरीदने के लिए 5.43 बिलियन डॉलर यानी 40,000 करोड़ रुपये में सौदा किया था। इस अनुबंध के तहत भारतीय वायुसेना को एस- 400 ‘ट्रायम्फ’ मिसाइल की कुल पांच रेजीमेंट (फ्लाइट) मिलनी हैं। हर फ्लाइट में आठ लॉन्चर हैं और हर लॉन्चर में दो मिसाइल हैं। यह मिसाइल सिस्टम एक साथ मल्टी टारगेट को निशाना बनाकर दुश्मन के लड़ाकू विमान, हेलीकॉप्टर और यूएवी को नष्ट कर सकते हैं। इस मिसाइल सिस्टम की दूरी करीब 400 किलोमीटर है। यानी अगर दुश्मन की मिसाइल किसी विमान या संस्थान पर हमले करने की कोशिश करेगी तो यह मिसाइल सिस्टम 400 किलोमीटर दूर से ही नेस्तनाबूत करने में सक्षम है। यह एंटी-बैलिस्टक मिसाइल आवाज की गति से भी तेज रफ्तार से हमला बोल सकती है।
सतह से हवा में मार करने वाली यह रूसी मिसाइल प्रणाली 400 किमी. तक की दूरी और 30 किमी. तक की ऊंचाई पर लक्ष्य को नष्ट करने में सक्षम है। भारत और रूस के बीच यह सौदा इसलिए भी आगे बढ़ा, क्योंकि पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ 8 माह से गतिरोध चल रहा है। भारत को चीन की रक्षा क्षमताओं को किनारे करने के लिए इस प्रणाली की आवश्यकता है। अनुबंध के अनुसार एंटी एयरक्राफ्ट मिसाइल सिस्टम एस-400 का प्रशिक्षण लेने के लिए भारत वायुसेना का 8 सदस्यीय दल रूस भेज रहा है। अधिकारियों की दूसरी टीम बाद में रूस पहुंचेगी। मंगलवार को भारत में रूसी दूतावास ने इनके सम्मान में एक प्रोटोकॉल कार्यक्रम आयोजित किया।
गर्मजोशी के साथ दोस्ताना माहौल में आयोजित किये गये इस कार्यक्रम में मास्को रवाना होने वाले भारतीय वायु सेना के इस समूह के सम्मान में रूसी दूतावास ने विदाई समारोह की मेजबानी की। इस दौरान अपने स्वागत भाषण में भारत में रूसी राजदूत निकोले आर. कुदाशेव ने कहा कि एस-400 आपूर्ति पर समझौता रूस और भारत के बीच विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी का स्तंभ है। यह समझौता दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सैन्य और सैन्य-तकनीकी सहयोग का हिस्सा है। प्रतिभागियों ने रूसी दूतावास के अलेक्जेंडर एम. कदाकिन संग्रहालय का दौरा भी किया।
भारत रूसी पक्ष को अनुबंध के तहत अग्रिम भुगतान कर चुका है और अमेरिकी प्रतिबंधों को दरकिनार करने के लिए एक और भुगतान तंत्र पर काम कर रहा है। अनुबंध के अनुसार पांचों एस-400 वायु रक्षा प्रणाली की आपूर्ति अप्रैल, 2023 तक पूरी हो जाएगी। रूस के साथ यह सौदा होते ही अमेरिका ने भारत को प्रतिबंधों की इसलिए धमकी दी, क्योंकि भारत ने अमेरिकी मूल के एयर डिफेंस सिस्टम पैट्रियट पीएसी 3 की बजाय रूसी एस-400 वायु रक्षा प्रणाली को चुना। अमेरिका की तरफ से इसलिए भी अड़ंगा लगाया जा रहा है क्योंकि अमेरिका ने रूस के साथ किसी भी देश के हथियारों के सौदों को लेकर प्रतिबंध लगा रखा है। इसके लिए अमेरिका की संसद ने काउंटिंरिंग अमेरिका एडवर्सरी थ्रू सेंक्शन्स (काटसा) कानून पारित कर रखा है लेकिन भारत का कहना है कि काटसा कानून एस-400 को लेकर भारत और रूस के बीच हुए करार के बाद पारित हुआ है।