रुपे-यूपीआई के लेनदेन पर एक जनवरी से एमडीआर शुल्क नहीं लगेगा : वित्तमंत्री

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क्यूआर कोड आधारित ऑनलाइन लेनदेन पर भी एमडीआर शुल्क देना पड़ता है।



नई दिल्ली, 28 दिसम्बर (हि.स.)। बजट 2020 से पहले सार्वजनिक क्षेत्र (पीएसयू) के बैंकों के शीर्ष अधिकारियों के साथ शनिवार को हुई समीक्षा बैठक में केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने चुनिंदा पेमेंट मोड पर मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआर) शुल्क को खत्म करने की घोषणा की है। सीतारमण ने रुपे कार्ड तथा यूपीआई लेनदेन पर मर्चैंट डिस्काउंट रेट (एमडीआर) शुल्क का वहन सरकार द्वारा करने की घोषणा की। जनवरी से 50 करोड़ रुपये से अधिक टर्नओवर वाली तमाम कंपनियों को अपने ग्राहकों को बिना किसी एमडीआर शुल्क के डेबिट कार्ड तथा यूपीआई क्यूआर कोड के जरिये भुगतान की सुविधा उपलब्ध करानी होगी।
वित्तमंत्री सीतारमण ने सरकारी बैंक प्रमुखों के साथ बैंकों के प्रदर्शन की समीक्षा के बाद शनिवार को यहां संवाददाताओं से कहा कि पहली बार इस बैठक में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) निदेशक एवं संयुक्त निदेशक भी शामिल हुये हैं। उन्होंने कहा कि वह प्रवर्तन निदेशालय, राजस्व खुफिया निदेशालय और आयकर विभाग के अधिकारियों के साथ भी इस तरह की बैठक करेंगी और उन्हें भी बैंक अधिकारियों को धोखाधड़ी से जुड़े मामलों में सतर्कता बरतने के बारे में बताने की अपील करेगी।
सीतारमण ने कहा है कि सरकारी बैंकों को अपने अधिकारियों के विरुद्ध लंबित सतर्कता मामलों को निपटाने के निर्देश दिये गये है। उऩ्होंने कहा कि जो मामले सही है और विवेक से लिए गये हैं उनके लिए बैंकों को केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) और केन्द्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) से डरने की जरूरत नहीं है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जब कोई बैंक तीन करोड़ रुपये से अधिक की राशि के लिए संदिग्ध गतिविधि करता है, तो उसके पास एक आंतरिक समिति होती है जो यह तय करती है कि उसे मामले को सीबीआई को भेजना चाहिए या नहीं। सीतारमण ने कहा कि ऐसे मामलों में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को सूचित करना अनिवार्य है।
इस मौके पर वित्त सचिव राजीव कुमार ने कहा कि वित्त वर्ष 2018-19 में 19 पीएसयू बैंक लाभ में रहे थे, उसके मुकाबले वित्त वर्ष 2019-20 की छमाही में अबतक 13 पीएसबी लाभ में रही है। कुमार ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का प्रावधान कवरेज अनुपात  उच्च स्तर पर है, जो कि 93.6 प्रतिशत है।  उन्होंने कहा कि नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) मार्ग के माध्यम से 2.08 लाख करोड़ रुपये की वसूली की गई है। 2.08 लाख करोड़ रुपये की वसूली में से 38,000 करोड़ रुपये अकेले पीएसबी के हैं।

क्या होता है एमडीआर शुल्क
जब कोई ग्राहक मर्चैंट के पॉइंट-ऑफ-सेल्स (पीओएस) टर्मिनल से अपने डेविट कार्ड को स्वाइप करता है तो मर्चैंट को अपने सर्विस प्रोवाइडर को एक शुल्क का भुगतान करना पड़ता है, जिसे एमडीआर शुल्क कहते हैं। क्यूआर कोड आधारित ऑनलाइन लेनदेन पर भी एमडीआर शुल्क देना पड़ता है।

बजट में की थी घोषणा
अपने पहले बजट में वित्तमंत्री सीतारमण ने कहा था कि 50 करोड़ से अधिक टर्नओवर वाली कंपनियों को अपने ग्राहकों को कम लागात वाले भुगतान के डिजिटल माध्यमों की सुविधा उपलब्ध करानी होगी और ट्रांजेक्शंस पर आने वाली लागत बैंक वहन करेंगे। सीतारमण एक फरवरी, 2020 को अपना पहला बजट पेश कर सकती हैं।

तीन स्टेकहोल्डर्स में बंटता है एमडीआर
हर ट्रांजैक्शन पर मर्चैंट जो भुगतान करता है, वह तीन स्टेकहोल्डर्स- लेनदेन की सुविधा देने वाले बैंक, पीओएस मशीन लगाने वाले वेंडर तथा वीजा या मास्टरकार्ड जैसे कार्ड नेटवर्क प्रोवाइडर्स के बीच बंटता है। क्रेडिट कार्ड पर एमडीआर शुल्क शून्य से लेकर ट्रांजैक्शन अमाउंट का 2% तक हो सकता है।

 


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