हम आदर्श भाईचारा युक्त अखंड हिन्दुस्तान की संकल्पना में विश्वास रखते हैं- मोहन भागवत

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वीर सावरकर एक प्रखर राष्ट्रभक्त, उनकी निंदा अस्वीकार्य- राजनाथ सिंह



नई दिल्ली, 12 अक्टूबर (हि.स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने अखंड भारत की संकल्पना को दोहराते हुए एक बार फिर साफ किया कि हम हिन्दू-मुस्लिम के बीच आदर्श भाईचारा युक्त समाज की संकल्पना के साथ आगे बढ़ रहे हैं। स्वातंत्र्य वीर सावरकर पर लिखित एक पुस्तक का लोकार्पण करते हुए संघ प्रमुख ने कहा कि संयोग से आज (मंगलवार) राम मनोहर लोहिया की पुण्यतिथि भी है। लोहिया, सावरकर और महर्षि अरविन्द- तीनों ही महान विभूतियों ने अखंड भारत की संकल्पना को महत्व के साथ प्रस्तुत किया था।

संघ प्रमुख ने कहा स्वातंत्र्य वीर सावरकर के व्यक्तित्व और कृतित्व को सामने लाने और लोगों को उनके बारे में वास्तविक जानकारी देने में इन पुस्तकों का बहुत महत्व है। पिछले कालखंड में सावरकर पर आईं तीनों पुस्तकों का अध्ययन करने पर स्पष्ट हो जाएगा कि वस्तुत: सावरकर का विरोध किसी व्यक्ति विशेष का विरोध नहीं है बल्कि यह वास्तविक राष्ट्रीयता का विरोध है। पिछले कुछ समय में देश में आए बदलाव और वातावरण को रेखांकित करते हुए डॉ. भागवत ने कहा कि यह देशभक्ति का युग है, गौरव और पहचान का युग है, मजहब-जाति-पंथ-भाषा से ऊपर उठकर कर्तव्य करने और जिम्मेदारी निभाने का युग है। संघ प्रमुख ने कहा कि हिन्दू समाज ने हमेशा से ही विविधता का स्वागत किया है और यही कारण है कि विश्व से भारत भूमि पर आई किसी भी संस्कृति को यहां रोका-टोका नहीं गया। इस विविधता में से भी एकता के सूत्र तलाशना, यही हिन्दू संस्कृति की विशिष्टता रही है। हिन्दुत्व की इस विशाल और वैश्विक संस्कृति को भी क्षुद्र बुद्धि लोगों ने बदनाम करने का नाकाम प्रयास किया है और कर रहे हैं।

वरिष्ठ पत्रकार उदय माहुरकर और चिरायु पंडित के द्वारा अंग्रेजी में लिखित पुस्तक ‘वीर सावरकर- द मैन हू कुड हैव प्रीवेन्टेड पार्टीशन’ का लोकार्पण समारोह नई दिल्ली के डॉ. अम्बेडकर इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित किया गया था। समारोह की अध्यक्षता देश के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह कर रहे थे। राजनाथ सिंह ने भी वीर सावरकर के महत्व को कमतर आंकने और उनके खिलाफ लगातार चलाए जा रहे निंदा अभियान की भर्त्सना करते हुए कहा कि सावरकर एक सूर्य के समान चमकते हुए प्रखर राष्ट्रवादी थे।

सन् 2003 में संसद भवन में वीर सावरकर के चित्र के लोकार्पण और अंदमान निकोबार में उनकी नाम पट्टिका लगाने का विरोध के प्रकरण को याद करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि मार्क्सवादी-लेनिनवादी और उनके पिछलग्गू विचारधारा के लोगों ने योजनाबद्ध तरीके से वीर सावरकर को बदनाम करने का लगातार अभियान चलाया। आज आवश्यकता है कि उनकी वास्तविक सोच को लोगों के सामने प्रस्तुत किया जाए। उन्होंने कहा कि वीर सावरकर एक यथार्थ राष्ट्रवादी थे। हिन्दुत्व पर उनके विचार को गलत तरीके से प्रस्तुत कर उन्हें मुस्लिम विरोधी और द्विराष्ट्रवाद का जनक बताने का प्रयास किया जाता रहा, जबकि सावरकर भारत की स्वतंत्रता के योद्धा, क्रांतिकारी, एक महान साहित्यकार और सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध आवाज उठाने वाले एक प्रखर सामाजिक कार्यकर्ता थे।


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