बंगालः लव जिहाद के खिलाफ दुर्गा वाहिनी ने खोला मोर्चा, नागरिकता को लेकर संघ का अभियान तेज

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और विश्व हिंदू परिषद (विहिप) की अनुषांगिक महिला इकाई, दुर्गा वाहिनी के मुकाबले के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बंग जननी वाहिनी बनाई है। एकतरफ ममता बनर्जी की बंग जननी ने जहां राजनीतिक कार्यक्रमों के आयोजन से अपनी शुरुआत की है तो दुर्गा वाहिनी ने राज्य के विभिन्न हिस्से में लव जिहाद में फंसने वाली बच्चियों को बचाने की पहल तेज कर दी है।



कोलकाता, 07 जून (हि.स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और विश्व हिंदू परिषद (विहिप) की अनुषांगिक महिला इकाई, दुर्गा वाहिनी के मुकाबले के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बंग जननी वाहिनी बनाई है। एकतरफ ममता बनर्जी की बंग जननी ने जहां राजनीतिक कार्यक्रमों के आयोजन से अपनी शुरुआत की है तो दुर्गा वाहिनी ने राज्य के विभिन्न हिस्से में लव जिहाद में फंसने वाली बच्चियों को बचाने की पहल तेज कर दी है।
दुर्गा वाहिनी ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में जमीनी स्तर पर लड़कियों को लव जिहाद से बचने के गुर सिखाने की शुरुआत की है। हाल के कुछ महीनों में कोलकाता समेत राज्य के अन्य हिस्सों में ऐसी घटनाएं सामने आई हैं, जिसमें बच्चियां लव जिहाद की शिकार हुई हैं। दो महीने पहले ही लोकसभा चुनाव के समय कोलकाता में इस तरह की दो घटनाएं सामने आई थीं। इसके बाद दक्षिण 24 परगना और उत्तर 24 परगना में भी दो ऐसी घटनाएं प्रकाश में आई थीं। केंद्रीय महिला अधिकार रक्षा आयोग ने इसपर पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस जारी किया था। इसके बाद विहिप की महिला इकाई दुर्गा वाहिनी जहां लव जिहाद से निपटने के गुर सिखा रही है, वहीं सीमांत चेतना मंच बांग्लादेश से लगी सीमा पर जनसांख्यिकी परिवर्तन से होने वाले नुकसान की भरपाई में लगा हुआ है।
राज्य में बह रही परिवर्तन की बयार को संघ व उसके संगठनों के विकास में भरपूर मदद मिल रही है। आरएसएस के दक्षिण बंगाल प्रचार प्रमुख विप्लव राय ने   विशेष बातचीत में बताया कि ग्रामीण इलाकों में संघ तेजी से बढ़ रहा है। सीमाई इलाकों में शाखाएं, कार्यकर्ता बढ़ रहे हैं। अनुशांगिक संगठनों की शक्ति में भी विकास हो रहा है। सीमाई इलाके में सक्रिय सीमांत चेतना मंच के जहां दो साल पहले तक गिनती के कार्यकर्ता थे, आज उनकी संख्या 30 हजार तक पहुंच गई है। जिसमें दक्षिण बंगाल के 20 हजार स्वयंसेवक हैं। लगातार दो साल की मेहनत के कारण अब राज्य के सभी ब्लॉकों में महत्वपूर्ण अनुषांगिक संगठनों का नेटवर्क मजबूत हुआ है। रामनवमी, हनुमान जयंती पर निकाली गई शोभायात्राओं में उमड़े जनसमूह साबित करते हैं बंगाल में हिंदुओं का पुर्नजागरण हो गया है। विहिप के कार्यकर्ता प्रशिक्षण शिविर की बात हो या फिर दुर्गा वाहिनी के सदस्यों के प्रशिक्षण की, सत्रों और प्रतिभागियों की बढ़ती संख्या उत्साहवर्धक है।
उन्होंने बताया कि राज्य भर में आरएसएस के 325 स्कूल चलते हैं, जिनका रिजल्ट अन्य सरकारी स्कूलों की तुलना में हमेशा बेहतर होता है। बावजूद इसके राज्य सरकार राजनीतिक वजहों से स्कूलों में बाधा डालती है। राय ने बताया कि न केवल सदस्यों की संख्या बढ़ी है बल्कि अनुषांगिक संगठनों की मदद से सीमावर्ती क्षेत्रों में नागरिकता को लेकर भी लोगों के बीच अभियान चलाया जा रहा है। बांग्लादेश से भारत आए हिंदू, बौद्ध, मतुुआ और अन्य समुदाय के लोगों को जल्द से जल्द नागरिकता मिलने और बांग्लादेशी घुसपैठियों के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए अभियान तेज किया गया है। सीमावर्ती क्षेत्रों में इसका बहुत असर देखने को मिल रहा है और लोग बड़ी संख्या में संघ से जुड़ रहे हैं।
वहीं, दूसरी तरफ विहिप तमाम तरह के धार्मिक आयोजनों के जरिए युवाओं और अन्य आयु वर्ग के लोगों को  हिंदुत्व को आत्मसात करते हुए राष्ट्रवाद की राह पर आगे बढ़ने में मदद करने की पहल की है। शुक्रवार को विशेष बातचीत में विश्व हिंदू परिषद् के बंगाल मीडिया प्रभारी सौरीश मुखर्जी ने बताया‌ कि संगठन सामाजिक-धार्मिक विषयों पर लगातार काम तेज कर रहा है। प्रशिक्षण सत्र में आत्मरक्षा के गुर सिखाए जा रहे हैं। बौद्धिक सत्र का आयोजन कर विचारधारा स्तर पर प्रशिक्षित किया जा रहा है। कीर्तन, कसरत के सहारे स्वस्थ्य और जागरूक समाज बनाने का प्रयास हो रहा है। दुर्गावाहिनी की सदस्यों को लव जिहादियों को पहचानने, उनसे निपटने के गुर सिखाए जा रहे हैं। योग, ध्यान, कसरत व आत्मरक्षा के उपाय सिखाकर शारीरिक व मानसिक रूप से मजबूत बनाकर राष्ट्रसेवा के संदेश दिए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि लगातार किसी न किसी धार्मिक आयोजन के जरिए राज्य भर में तमाम तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं जिसमें बड़ी संख्या में लोगों को जोड़ने की कोशिश हो रही है। इसके जरिए हमारा मकसद युवाओं को धर्म और राष्ट्रवाद के प्रति प्रेरित करना है।

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