रांची, 09 अक्टूबर (हि.स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के स्वयंसेवकों का प्रथम वर्ष का प्रशिक्षण शनिवार को समाप्त हो गया। रांची के कुदलुम स्थित आदित्य प्रकाश जालान सरस्वती विद्या मंदिर में समापन समारोह में आरएसएस के अखिल भारतीय सह प्रचारक प्रमुख अरुण जैन ने कहा कि समाज में संघ की स्वीकार्यता बढ़ी है। आज लोग आशा भरी निगाहों से संघ की ओर देख रहे हैं।
उन्होंने कहा कि जिस बात को लेकर डाक्टर हेडगेवार ने संघ की स्थापना की थी उस दिशा में हम लोग लगातार आगे बढ़ रहे हैं। आने वाले पांच वर्षों में भारत फिर से विश्व गुरु बन सकता है। इसके लिए पूरे हिंदू समाज को संगठित होकर काम करना होगा। जैन ने कहा कि एक समय था जब 1948 में संघ पर महात्मा गांधी की हत्या के आरोप में प्रतिबंध लगाया गया। उस समय संघ के स्वयंसेवकों ने पूरे देश में अकेले सत्याग्रह किया। संसद में संघ के पक्ष में कोई बोलने वाला नहीं था।
उन्होंने कहा कि वर्ष 1975 में जब देश में आपातकाल लगाया गया और आंदोलन को संघ के स्वयंसेवकों ने अपने हाथों में लिया उस समय सभी विचारधारा के लोगों ने संघ की सराहना की। आज परिस्थिति और बदल गई है। देश के साथ साथ विश्व में भी संघ की स्वीकार्यता बढ़ी है। समाज को साथ लेकर आगे बढ़ना है। समापन समारोह में शहर के कई लोग मौजूद थे।
संघ की ओर से बताया गया कि 18 अक्टूबर से संघ शिक्षा वर्ग चल रहा था। आठ अक्टूबर की शाम समापन समारोह हुआ। नौ अक्टूबर की सुबह दीक्षा समारोह का आयोजन किया गया। इस मौके पर सभी स्वयंसेवकों ने अपने-अपने स्थानों पर नई शाखा लगाने की बात कही।
दीक्षा समारोह के बाद सभी स्वयंसेवक अपने अपने घर के लिए प्रस्थान कर गए। 20 दिनों के प्रशिक्षण में सभी स्वयंसेवकों को शाखा लगाने की पूरी पद्धति के साथ साथ संघ से जुड़े अलग अलग क्षेत्रों की जानकारी दी गई। सेवा, प्रचार, संपर्क, व्यवस्था, गतिविधि आदि के बारे में संबंधित स्वयंसेवकों ने अलग-अलग दिन आकर समझाया। सभी स्वयंसेवक सुबह और शाम संघ स्थान पर काफी मेहनत करते दिखे। समापन समारोह के अवसर पर सभी स्वयंसेवकों ने अपनी कला का प्रदर्शन भी किया।
कोरोना संक्रमण को देखते हुए इस बार झारखंड में दो जगहों रांची और गिरिडीह में संघ शिक्षा वर्ग का आयोजन किया गया। रांची में 14 जिलों के 117 प्रशिक्षणार्थियों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया। इनमें रांची, रांची ग्रामीण, खूंटी, गढ़वा, पलामू, लातेहार, गुमला, सिमडेगा, लोहरदगा, पूर्वी सिंहभूम, जमशेदपुर महानगर, सरायकेला, रामगढ़, पश्चिमी सिंहभूम के स्वयंसेवक शामिल हुए। सभी स्वयंसेवकों ने निर्धारित शुल्क जमा किया था। 20 दिनों तक 40 से 50 स्वयंसेवक व्यवस्था में लगे रहे।