नई दिल्ली, 09 मार्च (हि.स.)। पनडुब्बी रोधी ’रोमियो’ हेलीकॉप्टर का प्रशिक्षण लेने के लिए जल्द ही भारतीय नौसेना के पायलटों और ग्राउंड स्टाफ की एक टीम अमेरिका जाएगी। भारत ने पिछले साल नौसेना के लिए अमेरिकी विमान निर्माता कंपनी लॉकहीड मार्टिन से दो दर्जन एमएच-60 आर सीहॉक रोमियो हेलीकॉप्टरों का सौदा किया था। भारत को पहले बैच में जून से सितम्बर के बीच तीन हेलीकॉप्टर मिलेंगे, इसलिए इसके पहले ही नौसेना की टीम को प्रशिक्षण देने की योजना बनाई गई है। अब इन हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल करने वाला भारत पांचवा देश बन जायेगा।
भारत ने 14 मई, 2020 को समुद्री उपयोगिता वाले दो दर्जन एमएच-60 आर हेलीकॉप्टरों के निर्माण के लिए अमेरिकी कंपनी सिकोरस्की-लॉकहीड मार्टिन से 905 मिलियन डॉलर के सौदे को अंतिम रूप दिया था। इसी अनुबंध के मुताबिक भारतीय नौसेना को इस वर्ष के अंत में पहले बैच में तीन रोमियो हेलीकॉप्टर मिलने की उम्मीद है। अनुबंध में यह भी तय किया गया था कि हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति से पहले नौसेना के पायलटों और ग्राउंड स्टाफ को प्रशिक्षण दिया जायेगा। पायलटों और ग्राउंड क्रू को पिछले साल ही प्रशिक्षण दिया जाना था लेकिन कोरोना वायरस की वैश्विक महामारी के चलते इस प्रक्रिया में देरी हुई।
सूत्रों के मुताबिक पायलटों और ग्राउंड स्टाफ को प्रशिक्षण करने के लिए अब अमेरिकी कंपनी से एक पत्र मिला है। हालांकि अभी ट्रेनिंग की तारीख तय नहीं है लेकिन पत्र मिलने के बाद नौसेना ने अमेरिका भेजी जाने वाली पायलटों और ग्राउंड क्रू की टीम चुनने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। सूत्रों का कहना है कि जून से सितम्बर, 2021 के बीच पहले बैच में तीन एमएच-60 आर सीहॉक अमेरिका में भारतीय दूतावास को सौंप दिए जायेंगे, जिनका इस्तेमाल भारत से जाने वाली नौसेना की टीम को प्रशिक्षण देने के लिए किया जायेगा। यानी भारत के लिए उड़ान भरने से पहले इन हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल प्रशिक्षण के लिए किया जाएगा। भारत को मिलने वाले यह हेलीकॉप्टर चौथी पीढ़ी के हैं। इनसे टॉरपीडो और मिसाइलों का इस्तेमाल पनडुब्बी रोधी भूमिकाओं में किया जा सकता है।
रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) से 20 18 में मंजूरी मिलने के बाद पिछले साल पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की भारत यात्रा से पहले फरवरी में कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी ने इस सौदे पर मुहर लगाई थी। 24 एमएच-60 आर सीहॉक हेलीकॉप्टरों का यह सौदा लगभग 2.6 बिलियन डॉलर में विदेशी सैन्य बिक्री (एफएमएस) के माध्यम से किया गया है। अभी 24 हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति होने के बाद भारतीय नौसेना की हिन्द महासागर क्षेत्र में ताकत बढ़ जाएगी। हिन्द महासागर क्षेत्र समुद्री सुरक्षा के दृष्टिकोण से बहुत बड़ा है, इसलिए किसी भी खतरे के खिलाफ महासागर में नौसेना की गश्त करने की क्षमता बढ़ेगी। मौजूदा समय में नौसेना समुद्री गश्त और पनडुब्बी रोधी युद्ध के लिए स्वदेशी एचएएल ध्रुव, रूस निर्मित कामोव का-28 और सिकोरस्की एस-61 सी किंग के मिश्रित बेड़े का संचालन करती है।
भारतीय नौसेना ने अपने पुराने समुद्री रोटरक्राफ्ट को बदलने के लिए अमेरिका से प्राथमिकता पर एमएच-60 आर सीहॉक उपलब्ध कराने का अनुरोध किया था, इसलिए तीन हेलीकॉप्टरों के पहले बैच की जल्द आपूर्ति की जा रही है। आर-मॉडल सीहॉक मुख्य रूप से कार्गो और उपयोगिता, खोज-बचाव और संचार रिले सहित माध्यमिक मिशनों के साथ भारत को समुद्री सतह और पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमता प्रदान करेगा। सिकोरस्की ने भारत को मिलने वाले हेलीकॉप्टरों को विशेष उपकरण के साथ संशोधित किया है, जिससे यह हेलीकॉप्टर संचार प्रौद्योगिकियों के माध्यम से देश के उपग्रह नेटवर्क से जुड़ जायेंगे। इन हेलीकॉप्टरों के मिलने पर भारत पांचवा देश बन जायेगा। अभी अमेरिकी नौसेना के अलावा ऑस्ट्रेलिया के पास 24 समुद्री हेलीकॉप्टरों का बेड़ा है। सऊदी अरब 10 हेलीकॉप्टरों का संचालन करता है और डेनमार्क के पास सात हेलीकॉप्टर हैं।