भावनगर/अहमदाबाद, 27 मई (हि.स.)। गुजरात में भावनगर जिले के रोलिंग मिल उद्योग बंद होने की स्थिति में है। कोरोना प्रकोप के चलते जिले के बड़ी संख्या में प्रवासी श्रमिक अपने घरों को लौट गये हैं और शेष अब भी घर जाने की जिद कर रहे हैं। इन श्रमिकों के बिना रोलिंग मिलों का संचालन संभव नहीं है। रोलिंग मिल के मालिक अब सरकार और प्रशासन से इन श्रमिकों को समझाने और उन्हें घर न जाने देने की मांग कर रहे हैं।
अब तक 12 हजार से अधिक मजदूर अपने घर चले गये हैं, जबकि पांच हजार श्रमिक घर जाने का इंतजार कर रहे हैं। इसमें से लगभग 3,000 श्रमिकों ने बुकिंग भी करा रखी है और मंजूरी के बाद इन सभी श्रमिकों को उनके गृहनगर ट्रेनों में भेज दिया जाएगा। मिल मालिकों को यह डर सता रहा है कि यदि सभी श्रमिक अपने घरों को वापस चले गये तो रोलिंग मिल उद्योग ठप हो जाएगा। अब यहां केवल 10 रोलिंग मिलें और भट्ठी इकाइयां काम कर रही हैं। इसलिए रोलिंग मिल मालिक सरकार और स्थानीय प्रशासन ने शेष बचे श्रमिकों को का किसी तरह रोकने का प्रयास करने की मांग कर रहे हैं।
मिल मालिकों को उम्मीद है कि यदि श्रमिक यहां रहेंगे तो ही उनका रोलिंग मिल उद्योग शुरू हो पाएगा। मिल मालिक प्रशासन के माध्यम से श्रमिकों को समझाने की कोशिश कर रहे है कि यहां उन्हें पर्याप्त वेतन और सभी आवश्यक सुविधाएं मिलेंगी और अगर घर चले गये तो वहां उनके लिए रोजगार मिलना आसान नहीं होगा। इसके अलावा रोलिंग मिल मालिकों ने राज्य सरकार से लॉकडाउन के दौरान का बिजली के बिल माफ करने की मांग की है। यदि सरकार ने इन बिलों को माफ नहीं किया तो वे वर्तमान परिस्थितियों में लाखों रुपये के बिलों का भुगतान नहीं कर पाएंगे और रोलिंग मिलों का बिजली कनेक्शन काट दिया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि भावनगर में एशिया में सबसे बड़ा जहाज रीसाइक्लिंग उद्योग होने के कारण यहां जिले में रोलिंग मिल और फर्नेस उद्योगों की लगभग 100 इकाइयां हैं। इनमें जहाज से निकले लोहें से लोहे की छड़ और चादर बनाने की इकाइयां हैं। इन रोलिंग मिलों में बड़ी संख्या में प्रवासी श्रमिक काम करते हैं। फिलहाल यह इकाइयां लंबे समय से विभिन्न कठिनाइयों का सामना कर रही हैं। कोरोना महामारी में राष्ट्रव्यापी बंद से अन्य उद्योगों के साथ रोलिंग मिल भी प्रभावित हुए हैं।