नई दिल्ली, 10 जून (हि.स.)। आवास और शहरी कार्य मंत्रालय देश के विभिन्न शहरों और नगरपालिका क्षेत्रों में पैदल यात्रियों के अनुकूल बाजारों के लिए समग्र योजना की सिफारिश की है। आवास और शहरी कार्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा द्वारा सभी राज्यों/शहरों/नगर निगमों को जारी की गई एडवाइजरी में 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों को कम से कम तीन बाजारों और 10 लाख से कम आबादी वाले शहरों को कम से कम एक बाजार का चयन करने का सुझाव दिया है जिनमें पैदल मार्ग का निर्माण कराया जाएगा। इसके लिए 12 सूत्री नियमावली भी दी गई है।
चूंकि शहर लॉकडाउन को आसान बनाते हैं और शारीरिक रुप से सामाजिक दूरी सुनिश्चित करते हुए परिवहन के सुरक्षित, किफायती और न्यायसंगत तरीके उपलब्ध कराते हैं। इसलिए पैदल और साईकिल से चलने वालों के लिए बाजारों में पैदल पथों के निर्माण का काम अत्यंत महत्वपूर्ण है। कोविड-19 महामारी ने लोगों के लिए सड़कों को लेकर फिर से कुछ नया करने का मौका दिया है। बाजारों को कोविड-19 से सुरक्षित और लोगों के अनुकूल बनाने के लिए भारतीय शहरों के बाजारों में पैदल मार्ग बनाने पर विचार समय की आवश्यकता है।
बाजारों में पैदल यात्रियों के लिए मार्ग बनाने हेतु सिटी मार्केट स्पेस का चयन 30 जून, 2020 तक, हितधारकों के परामर्श से क्षेत्र के लिए समग्र योजना अगले 3 महीनें यानि 30 सितंबर, 2020 तक, विक्रेताओं और बाजार के अन्य उपयोगकर्ताओं का सर्वेक्षण 31 जुलाई, 2020 तक, सितंबर, 2020 के अंत तक कार्यान्वयन शुरू करने के लिए एक योजना को औपचारिक रूप दिया जा सकता है। योजना का आकलन करने के लिए एक अस्थायी बैरिकेडिंग, यातायात के लिए सड़कों को बंद करना, किसी खास काम के लिए निश्चित की गई जगहों इत्यादि जैसे अल्पावधि उपायों को अक्टूबर 2020 के पहले सप्ताह में शुरू किया जा सकता है। अल्पावधि उपायों के माध्यम से कार्यान्वित योजना का मूल्यांकन नवंबर 2020 और आवश्यक संशोधनों को भी नवंबर, 2020 तक पूरा किया जा सकता है।
कोविड-19 के दुनिया में आने से पहले ही चेन्नई, पुणे और बैंगलोर जैसे कुछ भारतीय शहरों ने खुद को लोगों के अनुकूल शहर में बदलना शुरू कर दिया था। पिछले 5 वर्षों में चेन्नई ने पूरे शहर में 100 किमी से अधिक लंबा पैदल मार्ग बनाया, जिसमें शहर के व्यापारिक केंद्र में पैदल यात्री प्लाजा भी शामिल है। इसके अलावा यह इस वर्ष मेगा स्ट्रीट्स प्रोग्राम के माध्यम से अपने प्रयासों को चौगुना कर रहा है, जिसका उद्देश्य चेन्नई की असुरक्षित सड़कों को सुरक्षित सड़कों में बदलना है जिसमें पैदल यात्रियों और साइकिल चालकों को प्राथमिकता मिलेगी।
चेन्नई के इन प्रयासों से प्रेरित होकर तमिलनाडु सरकार ने राज्य के दस शहरों में इस कार्यक्रम का विस्तार करने के लिए एक बजट आवंटित किया है। पुणे एक व्यापक साइकिल योजना विकसित करने वाला पहला भारतीय शहर बन गया है, जिसमें 400 किमी की साइकिल-अनुकूल सड़कों के निर्माण का प्रस्ताव है। कई भारतीय शहरों में साइकिल-शेयरिंग प्रणाली शुरू की गई है। इससे कॉलेज के छात्रों, खासकर महिलाओं को साइकिल चलाने और आजादी के साथ शहर में घूमने का अधिकार मिला है।