नई दिल्ली, 18 जुलाई (हि.स.)। केंद्र सरकार ने निर्भया फंड के तहत 2250 करोड़ रुपये लगभग 29 कार्यक्रमों के जरिए विभिन्न प्रदेश सरकारों तक पहुंचाया है जबकि वर्ष 2013 में इस फंड की स्थापना के बाद से फरवरी 2014 तक मात्र एक प्रोजेक्ट की अनुमति दी गई थी किंतु उसको भी अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका।
राज्यसभा में गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और ‘हिन्दुस्थान समाचार’ (बहुभाषी न्यूज एजेंसी) के चेयरमैन आरके सिन्हा के सवाल के जवाब में केंद्रीय महिला एवं बाल कल्याण मंत्री स्मृति ईरानी ने उक्त जानकारी दी। स्मृति ईरानी ने बताया कि सरकार ने निर्भया फंड के गठन के बाद से 17 जुलाई, 2019 तक 29 कार्यक्रमों के जरिए विभिन्न प्रदेश सरकारों को 2250 करोड़ रुपये दिए गए। इसमें कई कार्यक्रम केंद्र सरकार की ओर से भी कराए गए थे।
मंत्री ने बताया कि निर्भया फंड का संचालन वित्त मंत्रालय करता है। जब क्रियान्वयन एजेंसियों को कोई भी प्रोजेक्ट करना होता है तो उनका वित्तीय व्यय सीधे तौर पर वित्त मंत्रालय के तहत आता है। वर्ष 2015 में एक एम्पावर कमेटी का गठन किया गया। इस कमेटी के माध्यम से कोई भी राज्य या स्वायत्त संस्था केंद्र सरकार के माध्यम से प्रस्ताव भेजती है। महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय उस प्रोजेक्ट के मानकों की जांच करती है कि वह निर्भया फंड के मानकों से मेल खाते हैं अथवा नहीं। तत्पश्चात वह वित्त मंत्रालय और संबंधित राज्य सरकारों को अपनी टिप्पणी देती है। उन्होंने बताया कि महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय ने निर्भया फंड के अंतर्गत 1023 फास्ट ट्रैक कोर्ट के गठन की स्वीकृति दी है।
पीड़ितों को त्वरित न्याय के लिए 1023 फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन
आरके सिन्हा ने एक अन्य पूरक प्रश्न करते हुए कहा कि यौन उत्पीड़न के मामले में भारी वृद्धि हुई है। तीन महीने में 24 हजार बलात्कार के मामले सामने आए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए जिलेवार आंकड़ा मांगा है। ऐसे में विशेष न्यायाधिकरण की स्थापना में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय क्या कार्रवाई कर रहा है और किस प्रकार पीड़ितों को जल्द से जल्द न्याय दिलाने की व्यवस्था की जा रही है?
इसके जवाब में स्मृति ईरानी ने बताया कि उच्चतम न्यायालय ने प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल अफेंसेस एक्ट (पॉक्सो) की दृष्टि से संज्ञान लिया है और सरकार से जिलेवार जानकारी मांगी है। ये जानकारी जो लंबित मामले हैं, उनके संदर्भ में है। उन्होंने बताया कि पीड़ितों को जल्द न्याय दिलाने के लिए डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस ने 1023 फास्ट ट्रैक कोर्ट के निर्माण के संकल्प को फलीभूत किया है।