रघुवंश प्रसाद और शिवानंद ने ईवीएम से हार की थ्योरी को किया खारिज

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कहा- जमीनी स्तर पर संघर्ष के लिए तैयार हो राजद



पटना, 05 जुलाई (हि.स.)। राजद के 23वें स्थापना दिवस पर वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह और शिवानंद तिवारी जोरदार तरीके से ताल ठोकते नजर आये। शुक्रवार को राजद कार्यालय में आयोजित स्थापना दिवस के कार्यक्रम में दोनों नेताओं ने इस थ्योरी को पूरी तरह से खारिज कर दिया कि लोकसभा चुनाव में भाजपा की जीत में ईवीएम की कोई भूमिका है। इन दोनों नेताओं ने वहां मौजूद पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को आईना दिखाते हुये साफ तौर पर कहा कि हार के लिए कोई बहाना तलाश करने की बजाय हकीकत को समझते हुये 2020 में होने होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए जमीनी सतह पर संघर्ष करने की जरूरत है।
रघुवंश प्रसाद सिंह ने कहा कि अपने लंबे राजनीतिक जीवन में उन्होंने खूब उतार- चढ़ाव देखे हैं। 5 जुलाई 1997 में राजद की स्थापना से पहले वह कई राजनीतिक दलों से जुड़े रहे। किसी भी सियासी पार्टी के सफर में उतार चढ़ाव लगा रहा था। राजद भी अपवाद नहीं है। राजद ने भी देश और राज्य के इतिहास को करीब से देखा है और इतिहास बनने-बनाने की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण किरदार भी अदा किया है। राजद को इस हकीकत से आंख चुराने की जरुरत नहीं है कि लोकसभा चुनाव में उसकी हार हुई है। हार और जीत तो किसी भी राजनीतिक दल का अभिन्न हिस्सा है।
रघुवंश प्रसाद सिंह ने कहा कि चुनाव परिणाम को लेकर ज्यादा सोचने की भी जरुरत नहीं है। सीधा सा  फार्मूला है हिन्दू-मुस्लिम का फार्मूला चल गया और बैकवर्ड और फारवर्ड का फार्मूला ध्वस्त हो गया। उन्होंने कहा  प्रधानमंत्री मोदी ने खुद को बड़ी चालाकी के साथ अपने आप को अतिपिछड़ा के रूप में पेश कर दिया, जिससे पिछड़े वर्ग के वोटर मोदी की तरफ चले गये। उन्होंने कहा कि चुनाव में भाजपा की जीत नहीं हुई है बल्कि प्रधानमंत्री मोदी की जीत हुई है। हमलोग ठीक से मोदी के प्रचारतंत्र का मुकाबला नहीं कर पाये। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में ‘ बरियार झूठ ‘ जीत गया है और ‘कमजोर सत्य’ हार गया है। प्रधानमंत्री मोदी का पाकिस्तान को घर में घुसकर मारेंगे की भाषा खूब पसंद आयी । उन्होंने कहा कि अब इस पर ठहरने की जरुरत नहीं है, बल्कि इससे आगे बढ़कर संगठन को प्रखंड स्तर पर खड़ा करने की जरुरत है ताकि एक अच्छी लड़ाई लड़ी जा सके।
राजद के कार्यक्रमों को स्थापना दिवस पर  प्रखंड स्तर पर आयोजित करने के लिए उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे के खिलाफ नाराजगी जाहिर करते हुये कहा कि उन्हें स्थापना दिवस के अवसर पर पार्टी के सभी लोगों को एक ही जगह पर जुटाना चाहिए था न कि प्रखंड स्तर पर अलग से काम करने की जरुरत थी। उन्होंने कहा कि प्रखंड स्तर पर कार्यक्रम बाद में भी किया जा सकता था। उन्होंने कहा कि यदि सभी लोग एक जगह जुटते तो उसका नजारा कुछ और होता। उन्होंने कहा कि रामचंद्र पूर्वे हमेशा लड़ाई से भागते हैं।  2020 में बिहार विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी के पास महज 15 महीने तक का समय है। एक व्यापाक कार्यक्रम बनाकर अभी से इसकी तैयारी करने की जरुरत है। विभिन्न स्तर पर प्रशिक्षण शिविर लगाकर पांच लाख लोगों को प्रशिक्षित करने की जरुरत है ताकि भविष्य में हम एक अच्छी लड़ाई लड़ सके। संगठन मजबूत और संघर्ष असरदार के फार्मूले पर हमलोगों को काम करना चाहिए।
राजद के वरिष्ठ नेता और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने लोगों को संबोधित करते हुये कहा कि हमसभी लोग तेजस्वी यादव के साथ हैं। वह खुद को शेर का बेटा कहते हैं लेकिन अभी मांद में बैठे हैं। उन्हें सामने आना चाहिए था। और उन्हें सामने आना ही होगा। उन्होंने कहा कि हमलोग संघर्ष करने वाले लोग हैं। शिवानंद तिवारी ने कहा कि असल सवाल यह  है कि हमलोग जिस धारा की राजनीति कर रहे हैं क्या उस धारा में ठहराव आ गया है। 90 के दशक में मंडल की राजनीति की शुरुआत हुई थी। आज भी पार्टी में ज्यादतर वही पुराने चेहरे हैं। पार्टी में नई बहाली नहीं हुई है। सामाजिक न्याय के लक्ष्य को भी पार्टी ने हासिल कर लिया है। अब इससे आगे बढ़ने की जरुरत है। उन्होंने कहा कि पुलवामा के बाद गोल पोस्ट खाली था। हमलोगों ने ठीक से काउंटर नहीं किया।

 


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