केजी-डी6 विवाद में रिलायंस पर 3 हजार करोड़ रुपये की देनदारी का अनुमान
नई दिल्ली, 24 मई (हि.स.)। रिलायंस इंडस्ट्रीज का अनुमान है कि केंद्र सरकार के साथ नौ साल पुराने एक विवाद में कंपनी की अधिकतम 40 करोड़ डॉलर (3 हजार करोड़ रुपये) की देनदारी बैठेगी। दरअसल कंपनी का ये विवाद मंजूर निवेश योजना का अनुपालन नहीं कर पाने की वजह से केजी-डी6 क्षेत्र में कथित तौर पर क्षमता का पूरा उपयोग नहीं कर पाने से संबंधित है। सूत्रों से रविवार को मिली जानकारी के मुताबिक कंपनी ने सरकार के इस आरोप को विरोध किया है और मामले को मध्यस्थता के लिए ले गई है।
दरअसल बंगाल की खाड़ी में केजी-डी6 ब्लॉक के धीरूभाई-1 और 3 क्षेत्रों में उत्पादन शुरुआत के दूसरे साल यानी 2010 से ही कंपनी के अनुमानों से नीचे आने लगा था। वहीं, इन गैस फील्ड्स में इस साल फरवरी में उत्पादन बंद हो गया। केंद्र सरकार ने इसके लिए कंपनी पर मंजूर विकास योजना के हिसाब से काम नहीं करने का आरोप लगाया था। इसी को आधार बनाते हुए कंपनी को 3 अरब डॉलर की लागत निकालने की अनुमति सरकार ने नहीं दी है।
गौरतलब है कि कंपनी ने सरकार के इस आरोप को विरोध किया है और मामले को मध्यस्थता के लिए ले गई है। आरआइएल ने हाल में लाए गए राइट्स इश्यू के डॉक्यूमेंट्स में इस विवाद का जिक्र किया है। रिलायंस ने राइट्स इश्यू के दस्तावेज में कहा है कि सरकार ने कंपनी और केजी-डी 6 ब्लॉक में उसकी भागीदार कंपनियों को नोटिस भेजा है। वहीं, कंपनी ने कहा है कि केजी-डी6 के अनुबंध में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जो इस आधार पर सरकार को लागत वसूली की मंजूरी नहीं देने का अधिकार देता हो।
उल्लेखनीय है कि रिलायंस ने 3 नवंबर, 2011 को केंद्र सरकार को मध्यस्थता से जुड़ा नोटिस दिया था। आरआइएल और सरकार तीन सदस्यों वाले मध्यस्थता न्यायाधिकरण के समक्ष अपना-अपना पक्ष रख चुके हैं। अब इस मामले में निर्णायक सुनवाई अगले साल सितंबर से दिसंबर तक हो सकती है। आरआइएल ने दस्तावेज में कहा है कि ये मामला फिलहाल लंबित है। हालांकि, कंपनी का कहना है कि इस मामले में उसपर 20 करोड़ डॉलर से 40 करोड़ डॉलर तक की देनदारी बैठ सकती है।