राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2019 के संशोधित मसौदे में हिंदी अनिवार्य नहीं

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राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2019 के मसौदे में त्रिभाषा फार्मूले के तहत हिंदी की अनिवार्यता पर दक्षिण भारतीय राज्यों में व्यापक आक्रोश के बाद सोमवार को केंद्र सरकार ने मसौदे का संशोधित प्रारूप जारी कर दिया। इसमें गैर हिंदी भाषी राज्यों में हिंदी की अनिवार्यता का जिक्र नहीं किया गया है।



नई दिल्ली, 03 जून (हि.स.)। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2019 के मसौदे में त्रिभाषा फार्मूले के तहत हिंदी की अनिवार्यता पर दक्षिण भारतीय राज्यों में व्यापक आक्रोश के बाद सोमवार को केंद्र सरकार ने मसौदे का संशोधित प्रारूप जारी कर दिया। इसमें गैर हिंदी भाषी राज्यों में हिंदी की अनिवार्यता का जिक्र नहीं किया गया है।

संशोधित मसौदा में लिखा गया है,  चूंकि भाषा प्रवीणता के लिए मॉड्यूलर बोर्ड परीक्षा वास्तव में केवल प्रत्येक भाषा में बुनियादी प्रवीणता के लिए परीक्षण करेगी। जो छात्र तीन भाषाओं में से एक या अधिक भाषा बदलना चाहते हैं वह ग्रेड छह में ऐसा कर सकेंगे। जब वे तीन भाषाओं (एक भाषा साहित्य के स्तर पर) में माध्यमिक स्कूल के दौरान बोर्ड परीक्षा में अपनी दक्षता प्रदर्शित कर पाते हैं। त्रिभाषा फार्मूले में लचीलापन खंड में हिंदी का कोई उल्लेख नहीं है। संशोधित नीति में कोई भी तीन भाषाओं में दक्षता की आवश्यकता होगी।

नई शिक्षा नीति के पहले के मसौदा ने तमिलनाडु सहित दक्षिणी भारतीय राज्यों में आक्रोश पैदा कर दिया था। विरोध करने वाले दलों का कहना था कि वह गैर-हिंदी भाषी राज्यों में हिंदी को जबरन थोपे जाने को बर्दाश्त नहीं करेंगे। मसौदा नीति के पिछले संस्करण में, गैर-हिंदी भाषी राज्यों में अंग्रेजी और हिंदी को अनिवार्य भाषा के रूप में प्रस्तावित किया गया था, जबकि हिंदी-भाषी राज्यों में एक तीसरी भाषा अनिवार्य थी।

 


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