परिणाम घोषित जेईई मेन-2021 का , दिल्ली की काव्या चोपड़ा सहित 13 ने शत प्रतिशत अंक हासिल किये

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जेईई मेन-2021 के मार्च सत्र का परिणाम घोषित, दिल्ली की काव्या चोपड़ा सहित 13 ने 100 परसेंटाइल स्कोर किया



नई दिल्ली, 25 मार्च (हि.स.)। राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) ने देश के प्रमुख इंजीनियरिंग संस्थानों में प्रवेश के लिए आयोजित संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई-मेन)-2021 के मार्च सत्र में आयोजित पेपर-1 (बी.ई.बी.टेक) का परिणाम घोषित कर दिया। दिल्ली की काव्या चोपड़ा और सिदार्थ कालरा सहित 13 उम्मीदवारों ने 100 परसेंटाइल स्कोर किया है। फरवरी सत्र में केवल छह उम्मीदवारों ने शत प्रतिशत स्कोर किया था। यह परीक्षा 16 से 18 मार्च के बीच आयोजित हुई थी।

केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने गुरुवार को ट्वीट कर कहा, एनटीए ने जेईई-मेन-2021 के मार्च सत्र के पेपर 1 के लिए एनटीए स्कोर घोषित कर दिया है। परीक्षा के लिए 6,19,638 उम्मीदवारों ने पंजीकरण कराया था। उन्होंने खुशी जाहिर करते हुए कहा, परीक्षा दूसरी बार 13 भाषाओं और 334 शहरों में (भारत के बाहर 12 शहरों सहित) में आयोजित की गई थी।

दिल्ली की काव्या चोपड़ा और सिदार्थ कालरा ने 300 अंक की परीक्षा में शत प्रतिशत अंक हासिल किये हैं। इसके अलावा तेलंगाना के बन्नूरू रोहित कुमार रेड्डी, मदुर आदर्श रेड्डी और जोसयुला वेंकट आदित्य, पश्चिम बंगाल के ब्रतिन मंडल, बिहार के कुमार सत्यदर्शी, राजस्थान के मृदुल अग्रवाल, जेनिथ मल्होत्रा और रोहित कुमार, तमिलनाडु के अश्विन अब्राहम,  महाराष्ट्र के अथर्व अभिजीत तांबट और बक्शी गार्गी मारकंड शामिल हैं।

सभी उम्मीदवार अपना स्कोर कार्ड एनटीए की आधिकारिक वेबसाइट nta.ac.in या jeemain.nta.nic.in पर देख सकते हैं।

इस साल से संयुक्त प्रवेश परीक्षा (मुख्य)-2021 परीक्षा नए पैटर्न के आधार पर चार बार आयोजित की जा रही है। इसके तहत पहले सत्र की परीक्षा 23 से 26 फरवरी के बीच हुई थी। दूसरे सत्र में 16 से 18 मार्च के बीच हुई थी। इसके बाद 27 से 30 अप्रैल और 24 से 28 मई में भी परीक्षा आयोजित की जाएगी। अभ्यर्थी यदि चाहें तो अब पोर्टल खुलने पर आगामी सत्रों के लिए आवेदन कर सकते हैं। ऐसा करके उम्मीदवार अपनी रैंकिंग में सुधार कर सकते हैं।

नई शिक्षा नीति के मद्देनजर यह परीक्षा पहली बार हिंदी, अंग्रेजी, असमिया, बंगाली, गुजराती, कन्नड़, मलयालम, मराठी, ओडिया, पंजाबी, तमिल, तेलुगु और उर्दू 13 भारतीय भाषाओं में आयोजित की गई थी।

 


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