कोरोना को लेकर अटल यूनिवर्सिटी में हुए शोध ने साबित किया कि भारतवासी आशावादी और सकारात्मक

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रायपुर, 01 जून (हि.स.)। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर स्थित अटल यूनिवर्सिटी के शोधार्थियों ने मशीन लर्निंग बेस मॉडल के जरिये ट्वीट पर रिसर्च कर यह साबित किया है कि पूरी दुनिया के मुकाबले भारतीय कोरोना को लेकर अधिक सकारात्मक हैं। बिलासपुर अटल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता डॉ. एचएस होता की टीम ने लाखों भारतीयों पर लॉकडाउन के दौरान कोरोना के संदर्भ में किए गए ट्वीट पर शोध कर यह पाया है कि भारतीय दूसरे देशों के मुकाबले ज्यादा आशावादी और सकारात्मक  है।

रिसर्च टीम ने ग्लोबल और नेशनल लेवल पर शोध किया है। ग्लोबल लेवल पर शोधकर्ताओं ने भारत के अलावा फ्रांस, स्पेन, यूएसए, इटली और यूके के तकरीबन ढाई लाख ट्वीट का अध्ययन किया, जो  टैग # कोविड-19 और टैग # कोरोना वायरस से संबंधित था। इस अध्ययन में इन कोरोना प्रभावित पांच प्रमुख देशों के मुकाबले, भारतीयों में कोरोना को लेकर सबसे कम नकारात्मकता दिखी है। शोधकर्ता इसे देश में कोरोना को लेकर समय पर लिए गए निर्णय, प्रयास और जागरुकता का परिणाम मानते हैं। देश की बात करें तो शोधकर्ताओं ने एक लाख 19 हजार 495 ट्वीट्स का अध्ययन किया। जिसमें पहले लॉकडाउन के दौरान नेगेटिव सेंटिमेंट्स में 6 प्रतिशत की बढ़ोतरी दिखी।

लेकिन दूसरे लॉकडाउन के दौरान नकारात्मकता  में दो फीसदी की कमी नजर आई। शोध में यह भी पाया गया की सकारात्मक लोगों के बाद उन लोगों की संख्या है, जो कोरोना को लेकर प्रतिक्रिया विहीन बने रहे। शोध के अनुसार लॉकडाउन से पहले 42.98 प्रतिशत लोग कोरोना को लेकर सकारात्मक रहे। जबकि 34.44 प्रतिशत लोग उदासीन रहे। 18.96 प्रतिशत लोगों की भावनाएं कोरोना को लेकर नकारात्मक रही। लॉकडाउन-वन में 43.87 प्रतिशत लोगों  की भावनाएं कोरोना को लेकर सकारात्मक रही। 37.17प्रतिशत लोग उदासीन रहे। जबकि 18.96  प्रतिशत नकारात्मक रहे। लॉकडाउन टू में 43.73 प्रतिशत लोगों  की भावनाएं सकारात्मक रही  है। 38.00 प्रतिशत कोरोना को लेकर उदासीन रहे है। 18.27 प्रतिशत लोगों  की भावनाएं कोरोना को लेकर उदासीन रही है।

 


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