नई दिल्ली/मुंबई, 19 अगस्त (हि.स.)। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने सोमवार को कहा कि अब सभी बैंकों को ब्याज और जमा की दरें रेपो रेट के साथ में जोड़ देनी चाहिए। ताकि, आरबीआई के रेट का फायदा तत्काल ग्राहकों को मिल सके। दास ने कहा कि इसके लिए जरूरी कदम उठाए जाएंगे।
उद्योग संघ फिक्की द्वारा आयोजित सालाना बैंकिंग सम्मेलन में बोलते हुए दास ने कहा कि बाहरी बेंचमार्क को अपनाने की प्रक्रिया में तेजी आनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मेरे खयाल से रेपो रेट या किसी बाहरी बेंचमार्क के साथ नए लोन को औपचारिक रूप से जोड़ देने का वक्त आ गया है।
उल्लेखनीय है कि सार्वजनिक क्षेत्र और देश के सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) ने हाल में अपनी जमा और लोन की ब्याज दर को रेपो रेट से लिंक कर दिया है। इसका फायदा ग्राहकों को भी मिलने लगा है, जैसे ही आरबीआई ने रेट में कटौती की वैसे ही एसबीआई का होम और कार लोन पर लगले वाला ब्याज दर एमसीएलआर कम हो गया। एसबीआई ने अपनी जमा और लोन की दर को मई में और होम लोन की दर को जुलाई में रेपो रेट से जोड़ दिया है। बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक और केनरा बैंक सहित 6 अन्य सरकारी बैंकों ने भी पिछले हफ्ते अपनी ब्याज दरों को रेपो रेट से जोड़ दिया है।
क्या होता है रेपो रेट
दरअसल रिजर्व बैंक जिस दर पर वाणिज्यिक बैंकों को छोटी अवधि के लिए कर्ज देता है, उसे रेपो रेट कहते हैं। बता दें कि आरबीआई ने इस साल रेपो रेट में 4 बार कटौती की है, जो कुल मिलाकर 1.10 फीसदी है, जिसके बाद रेपो रेट कम होकर 5.40 फीसदी पर आ गई है। मौजूदा रेपो रेट नौ साल का न्यूनतम स्तर है।