इस बार महाकुंभ में भव्य रूप में दर्शन देंगे ‘बड़े हनुमान’ !

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ऐतिहासिक नगरी प्रयागराज में वो काम कर रहे हैं जिसे आज से पहले किसी मुख्यमंत्री ने नहीं किया ।

धर्म नगरी प्रयागराज में महाकुंभ से पहले योगी आदित्यनाथ ने संगम तट पर स्थित बडे हनुमान मंदिर के कायाकल्प का बीडा उठाया है। उन्होने संगम तट की शोभा माने जाने वाले बडे हनुमान मंदिर के जीर्णोधार पर विशेष ध्यान देने का निर्देश दिया है। 

जाहिर है इस बार प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान बडे हनुमान मंदिर का रूप रंग बदला हुआ नजर आएगा ।  मंदिर पहले से अलग और अपने भव्य रुप में दिखेगा । मंदिर के सौंदर्यीकरण के साथ ही कॉरिडोर का निर्माण कार्य तेजी से आगे बढ रहा है। पहली बार किसी मुख्यमंत्री ने  करीब 700 वर्ष पुराने इस मंदिर को भव्य रूप देने का प्रयास  शुरू किया है

सीएम योगी ने हाल ही में खुद आकर यहां चल रहे निर्माण कार्यों का जायजा लिया था। उनके आगमन के बाद से मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या काफी बढ गई है । 

महाकुम्भ को दिव्य, नव्य और भव्य बनाने के लिए प्रशासनिक टीमें दिन-रात लगी हुई हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रयागराज में योग्य अफसरों की फौज तैनात कर दी है । प्रयागराज के लेटे हनुमान मंदिर के स्वरूप में बदलाव के तहत सबसे पहले मंदिर के गर्भगृह को बडा किया जाएगा।

इसके साथ ही परिक्रमा पथ, दुकानें, पार्किंग, प्रवेश द्वार रैन बसेरा और हवन कुंड आदि भी बनाए जा रहे हैं । मंदिर के सौंदर्यीकरण के लिए 24 घंटे काम चल रहा है।माना जा रहा है कि निर्माण कार्य पूरा हो जाने के बाद इस महाकुम्भ के दौरान बडे हनुमान का यह मंदिर श्रद्धालुओं के लिए श्रद्धा और आकर्षण का बडा केंद्र होगा।

 संगम तट पर आराम की मुद्रा में लेटे हैं पवनपुत्र संकटमोचन हनुमान ।  दाएं हाथ में श्रीराम लक्ष्मण, बाएं हाथ में गदा और दाहिने पैर के नीचे दबा हुआ अहिरावण ।  पौराणिक मान्यता है कि लंका पर जीत के बाद जब हनुमान जी सेना के साथ वापसी कर रहे थे, तो उन्हें थकान लगी ।

इसके बाद माता सीता के कहने पर वो यहीं पर संगम के तट पर लेट गए । इसी को ध्यान में रखते हुए लेटे हनुमानजी का मंदिर बन गया जिसे बडे हनुमान मंदिर और कई अन्य नामों से भी जाना जाता है । हनुमानजी को संगमनगरी का कोतवाल भी माना जाता है । 

हनुमानजी की यह प्रतिमा दक्षिणाभिमुखी और 20 फीट लम्बी है। माना जाता है कि यह धरातल से कम से कम 6 या 7 फीट नीचे है। इन्हें बडे हनुमानजी, किले वाले हनुमानजी, लेटे हनुमानजी और बांध वाले हनुमानजी के नाम से भी जाना जाता है। माना जाता है कि इनके दाएं पैर के नीचे अहिरावण दबा हुआ है। उनके दाएं हाथ में राम-लक्ष्मण और बाएं हाथ में गदा शोभित है।

ऐसा माना जाता है गंगा का पानी लेटे हनुमान जी की प्रतिमा को स्पर्श करता है, फिर नीचे उतर जाता है।


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