रिटायर्ड नायाब सूबेदार बोले, ‘याद रखें, 1962 में चीन ने आर्मी की पीठ में छुरा घोंपा था’

0

गोरखपुर, 17 जून (हि.स.)। राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित और वर्ष 1962, 1965 तथा 1971 का युद्ध लड़ चुके रिटायर नायब सूबेदार विद्याधर 20 भारतीय जांबाजों की शहादत से काफी खफा हैं। चीन को धोखेबाज बताते हुए रिटायर नायाब सूबेदार विद्याधर ने कहा कि लद्दाख की गलवान घाटी में सीमा पर चीनी सेना से हुए संघर्ष में सैनिकों की शहादत चीन की कायराना हरकत है।
वर्ष 1962 में चीन से जंग लड़ चुके रिटायर नायब सूबेदार विद्याधर ने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि चीन यह न भूले कि वर्ष 1962 में दुर्गम बर्फीले इलाकों में जज्बे के बूते थ्री-नाट-थ्री राइफलों से जंग लड़ने वाली भारतीय फौज कर अब अत्याधुनिक हथियार और मिसाइलें हैं। भारत परमाणु हथियार सम्पन्न है। अब सीमा तक की पहुंच भी आसान पहुंच हो चुकी है। पहाड़ी इलाकों में लड़ाई करने में माहिर भारत की वर्तमान सेना दुनिया की सर्वोत्तम सेना है और चीन की हर चाल का जवाब देने में सक्षम है।
बड़हलगंज कोतवाली क्षेत्र के पौहरिया गांव निवासी 86 बसन्त देख चुके विद्याधर ने चीन सरकार को आगाह भी किया। कहा कि चीन के झांसे में आने की जरूरत नहीं है। 1962 में चीन ने हिन्दी-चीनी भाई-भाई का नारा देकर चीन ने भारत की पीठ में छुरा घोंपा था। तब भारतीय सेना के पास केवल थ्री-नाट-थ्री की राइफलें थीं। बर्फीली पहाड़ी इलाकों में पहनने को जूते तक नहीं थे। बावजूद इसके भारतीय फौज ने अपने साहस से चीनी सेना को माकूल जवाब दिया था।
रिटायर नायब सूबेदार ने कहा कि चीन सीमा पर हालात कठिन हैं। ज्यादातर इलाकों में बर्फीली पहाड़ियां हैं। तापमान काफी कम रहता है। ऐसे दुष्कर माहौल में बिना जरूरी साजो सामान के हमने वहां हौसले से जंग लड़ी है। उस समय सीमा तक पहुंचने के लिए ठीक रास्ते तक नहीं थे। सैन्य साज-ओ-सामान की भी कमी थी, फिर भी सैनिकों का हौसला बुलंद था। अब तो सेना आधुनिक साज-ओ-सामान है। इतना ही नहीं, दुर्गम सीमाई इलाके तक अब जरूरी सैन्य सहायता पहुंचाने में भी सक्षम है।
अरुणाचल प्रदेश में चीन की सीमा पर तैनात रहे गोला गांव निवासी 85 की उम्र पार रिटायर फौजी रामानंद राय ने कहा कि भारत-चीन सीमा पर चारों तरफ पहाड़ी है। ठंड भी बहुत पड़ती है। इसके बाद भी सैनिकों के कदम ठिठकते नहीं हैं। भारतीय सेना चौबीस घंटे अत्याधुनिक हथियारों से लैस होकर पैट्रोलिंग कर रही है। अब चीन भी जानता है कि भारत बदल चुका है। राजनीतिक दृढ़-इच्छा शक्ति के साथ ही भारतीय सेना का मनोबल काफी ऊंचा है। हमारी सेना विश्व की बेहतर सेनाओं में शामिल है।
वियतनाम से नहीं जीता तो हमसे क्या लड़ेगा चीन
रिटायर फौजी रामानंद कहते हैं कि सभी जानते हैं कि चीन वियतनाम से नहीं जीत सका। भला वह भारत से क्या जंग लड़ेगा? भारत के हर सैनिक का एक ही धर्म है और वह है मातृभूमि की रक्षा करना। ऐसे में देश की जनता को निश्चिंत रहना चाहिए। भारतीय सेना पर पूरा भरोसा करना चाहिए।

 


प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *