विभिन्न धर्मगुरु कोरोना के खिलाफ मिलजुल कर काम करेंगे

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पूजा स्थलों, मस्जिद, गुरुद्वारों, गिरजाघरों, आश्रमों को मरीजों की सेवा के लिए खोलने पर दिया जाेर कोरोना गाइडलाइन पर अमल कराने और सरकार के साथ कदम मिलाकर चलने का भरोसा दिलाया



नई दिल्ली, 10 मई (हि.स.)। देशभर के विभिन्न धर्मों के धर्मगुरुओं ने कोविड-19 महामारी से उत्पन्न हालात से निपटने के लिए मिलजुल कर काम करने का बीड़ा उठाया है। जमात-ए-इस्लामी हिंद की पहल पर एक प्लेटफार्म पर एकत्र हुए धर्मगुरुओं ने सर्वसम्मति से फैसला लिया है कि वह अपने-अपने पूजा स्थलों, मस्जिद, गुरुद्वारों, गिरजाघरों और आश्रम आदि के दरवाजे कोरोना वायरस से संक्रमित होने वाले मरीजों के लिए खोलेंगे और जरूरतमंदों की हर संभव मदद करेंगे। इसके साथ ही धर्म गुरुओं ने आम नागरिकों से कोरोना वायरस महामारी के फैलाव को रोकने के लिए सरकार की तरफ से जारी की गई गाइडलाइन पर पूरी तरह से अमल करने की अपील की। वहीं अपने संसाधनों का भरपूर इस्तेमाल कर संकट की इस घड़ी में सरकार के साथ कदम से कदम मिलाकर साथ खड़े रहने का भरोसा भी दिलाया है।
देश के सबसे बड़ी मुस्लिम संस्था जमात-ए-इस्लामी हिंद ने सभी धर्मों के धर्मगुरुओं को एक प्लेटफार्म पर एकत्र करने के लिए एक वेबिनार का आयोजन किया। इसमें सभी धर्मां के धर्मगुरुओं ने शिरकत करके अपने-अपने स्तर पर किए जा रहे कार्यों की जानकारी दी है। धर्मगुरुओं का कहना है कि हम सभी समाज को सही रास्ता दिखाने का काम करते हैं। हमारे ऊपर समाज पूरी तरह से भरोसा करता है। इसलिए हमें अपने-अपने समाज के लोगों को समझाने और उन्हें इस जानलेवा महामारी से बचाने के लिए संयुक्त रूप से प्रयास करने की जरूरत है।
धर्म गुरुओं का कहना है कि इस समय सबसे बड़ा मामला महामारी का फैलाव रोकना है। इसके लिए हम सभी संयुक्त रूप से समाज में यह संदेश देने का प्रयास करें कि सरकार के जरिए जारी की गई गाइडलाइन का सख्ती से पालन किया जाए। महामारी के फैलाव के लिए राज्य सरकारों के जरिए लगाए गए लॉकडाउन का सही तौर से पालन कराने के लिए भी हमें अपनी भूमिका निभानी चाहिए। सभी लोगों से घरों में रहने, बिना बिना जरूरत घरों से बाहर नहीं निकलने, मास्क पहनने, सामाजिक दूरी का सख्ती से पालन करने जैसे सुझाव पर अमल करने के लिए उन्हें प्रेरित करने का प्रयास करना चाहिए।
धर्मगुरुओं ने समाज के गरीब, मजदूर और बेसहारा लोगों की मदद करने का भी फैसला लिया है। इसके तहत लोगों को कच्चा-पक्का राशन उपलब्ध कराने की व्यवस्था करने की रणनीति बनाने पर भी जोर दिया गया है। धर्मगुरुओं का मानना है कि लॉकडाउन की वजह से बेरोजगार होने वाले लोगों को भूख से मरने से बचाने के लिए हमें आगे आना पड़ेगा और उनकी सहायता करनी पड़ेगी। धर्मगुरुओं ने सर्वसम्मति से यह भी प्रस्ताव पास करके सरकार को अनुमति दी है कि अगर महामारी के फैलाव को रोकने के लिए देशभर में संपूर्ण लॉकडाउन लगाने की जरूरत पड़ती है तो उस पर भी सरकार को अमल करना चाहिए। धर्मगुरुओं ने प्रधानमंत्री से सभी धर्मों के धर्मगुरुओं, समाजिक और धार्मिक संगठनों आदि से जुड़े लोगों की बैठक बुलाने और उनसे सलाह मशविरा करके कोरोना वायरस से लड़ने के लिए रणनीति बनाने पर बल दिया है।
ऑनलाइन बैठक में भाग लेने वाले में भारतीय सर्वधर्म संसद के राष्ट्रीय संयोजक गोस्वामी सुशील जी महाराज, रामकृष्ण मिशन के चीफ स्वामी शान्तातमानन्द, कालकी धाम के आचार्य प्रमोद कृष्णन, ब्रह्माकुमारी की बहन हुसैन, गालतापीठाधीश्वर स्वामी सम्पत कुमार अवधेशाचार्य, यहूदी मज़हब के प्रतिनिधि इज़ाक मालेकर, गुरुद्वारा बंग्लासाहेब के ज्ञानी रण्जीत सिंह, जैन धर्म के आचार्य विवेक मुनी जी, बहाई समुदाय के नेशनल ट्रस्टी डॉक्टर ए.के. मर्चेंट, ऑल इंडिया रवि दास धर्म संगठन के चेयरमैन स्वामी वीर सिंह, इंस्टिट्यूट ऑफ हार्मोनी एण्ड स्टडी के संस्थापक निदेशक फादर थॉमस और आर्ट ऑफ लीविंग के प्रतिनिधि ब्रह्मा तेज जी और जमात-ए-इस्लामी की तरफ से इंजीनियरिंग सलीम अहमद शामिल हुए।

 


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