नई दिल्ली, 15 मई (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात के शिक्षामंत्री भूपेंद्र सिंह चूड़ासमा का निर्वाचन निरस्त करने के गुजरात हाईकोर्ट के फैसले पर फिलहाल रोक लगा दी है। जस्टिस एम. शांतानागौदर और जस्टिस आर. सुभाष रेड्डी की बेंच ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई सुनवाई के बाद यह आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेता अश्विन राठौड़ को नोटिस जारी किया है।
चूड़ासमा की ओर से वरिष्ठ वकील नीरज किशन कौल और हरीश साल्वे ने कहा कि हाईकोर्ट को 429 वोटों पर जरूर विचार करना चाहिए था कि वे सही तरीके से अवैध घोषित किए गए थे कि नहीं। नीरज किशन कौल ने कहा कि इसमें भ्रष्टाचार का सवाल कहां है क्योंकि अफसरों का तबादला निर्वाचन आयोग के आदेश पर हुआ। मंत्री और निर्वाची अधिकारी में कोई संबंध नहीं है। कौल ने कहा कि इसमें लाभ की बात स्थापित नहीं होती है।
कांग्रेस उम्मीदवार अश्विन राठौर की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि चुनाव में भ्रष्ट तरीके अपनाए गए। ईवीएम से काउंटिंग शुरू की गई। उसके पहले पोस्टल बैलेट नहीं लाए गए थे। पोस्टल बैलट 15वें राउंड की गिनती तक नहीं लाए गए थे। सिब्बल ने कहा कि फॉर्म 20 पर निर्वाची अधिकारी हस्ताक्षर करता है। उसमें कहा गया है कि 429 पोस्टल बैलेट अवैध घोषित किए गए थे लेकिन निर्वाची अधिकारी ने ऑब्जर्वर से कहा कि कोई बैलेट अवैध घोषित नहीं किया गया था। तब कोर्ट ने सिब्बल से कहा कि निर्वाची अधिकारी ने उसके लिए अपना लिखित बयान भी दिया है। सिब्बल ने कहा कि अगर उनकी गिनती कभी नहीं हुई तो उन्हें अवैध घोषित कैसे किया जा सकता है। निर्वाचन आयोग का दिशानिर्देश है कि अगर जीत का अंतर कम हो तो बैलेट की गिनती करनी होगी। इस मामले में 327 वोटों का अंतर था जबकि पोस्टल बैलट 429 थे। पोस्टल बैलेट का वेरिफिकेशन अनिवार्य था।
गुजरात हाईकोर्ट ने पिछले 12 मई को चूड़ासमा के 2017 के चुनाव में कदाचार और हेराफेरी का दोषी पाए जाने के बाद उनका निर्वाचन निरस्त कर दिया। चूड़ासमा के खिलाफ कांग्रेस उम्मीदवार अश्विन राठौड़ ने गुजरात हाइकोर्ट में याचिका दायर की थी। चूड़ासमा ने गुजरात विधानसभा का चुनाव 327 वोटों के मामूली अंतर से जीता था।