बिहार के साढ़े 3 लाख नियोजित शिक्षकों को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं, पुर्नविचार याचिका खारिज
नई दिल्ली, 27 अगस्त (हि.स.)। बिहार के करीब साढ़े तीन लाख नियोजित शिक्षकों को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को नियोजित शिक्षकों की पुर्नविचार याचिका खारिज कर दी और पिछले 10 मई के अपने फैसले में बदलाव करने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि फैसले में कोई त्रुटि नहीं है, इसलिए उस पर पुनर्विचार नहीं हो सकता है।
उल्लेखनीय है कि पिछली 10 मई को सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाई कोर्ट के समान काम के बदले समान वेतन देने के आदेश को निरस्त कर दिया था। इस मामले पर सुनवाई के दौरान बिहार सरकार ने कोर्ट से कहा था कि राज्य के नियोजित शिक्षकों के वेतन बढ़ोतरी से ज्यादा जरूरी है हर बच्चे को शिक्षा मुहैया कराना। बिहार सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने कहा था कि संविधान में संशोधन कर शिक्षा को मौलिक अधिकार के रूप में लागू किया गया। उन्होंने कहा था कि वर्ष 2002 से पहले राज्य से 23 लाख बच्चे स्कूली शिक्षा से बाहर थे। लेकिन आज एक लाख से भी कम बच्चे स्कूलों से दूर हैं। ये तभी संभव हो पाया जब राज्य सरकार ने नियोजित शिक्षकों की नियुक्ति की। राकेश द्विवेदी ने कहा था कि इन शिक्षकों की नियुक्ति 2006 से शुरू की गई थी। जहां पहले एक लाख शिक्षकों की नियुक्ति होती थी, वहीं अब राज्य में करीब साढ़े तीन लाख शिक्षकों की नियुक्ति हुई है। ये नियुक्तियां राज्य सरकार ने अपने बजटीय प्रावधानों से की थी।