आरबीआई ने महंगाई की आशंका के मद्देनजर नीतिगत दरों को यथावत रखा

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मुंबई, 06 अगस्त (हि.स.)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति ने गुरुवार को महंगाई की आशंका के मद्देनजर नीतिगत दरों को  पूर्व की भांति यथावत बनाये रखने का निर्णय लिया है। जिससे आम लोगों को झटका लगा है क्योंकि घर, कार और व्यक्तिगत ऋण पर ब्याज दरों में तत्काल कमी आने की उम्मीद समाप्त हो गई है।
समिति की चालू वित्त वर्ष 2020-21 की ऋण एवं मौद्रिक नीति की छठी द्विमासिक समीक्षा की तीन दिवसीय बैठक के बाद आज जारी निर्णय के अनुसार नीतिगत दरों को यथावत रखा गया है, जबकि चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित खुदरा महंगाई के बढ़कर 6.5 प्रतिशत पर पहुंचने का अनुमान है।
इसके साथ समिति ने अगले वित्त वर्ष के पहले के विकास अनुमान 5.9 प्रतिशत से 6.3 प्रतिशत काे कम कर 6.0 प्रतिशत कर दिया है। कहा है कि अगले वित्त वर्ष की पहली छमाही के यह 5.5 प्रतिशत से 6.0 प्रतिशत के बीच रह सकता है।
समिति ने चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में 6.2 प्रतिशत विकास दर रहने की संभावना जतायी है। समिति ने सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया है। समिति ने रेपो दर को 5.15 प्रतिशत, रिवर्स रेपो दर को 4.90 प्रतिशत, मार्जिनल स्टैंडिंग फैसेलिटी दर (एमएसएफआर) 5.40 प्रतिशत, बैंक दर 5.40 प्रतिशत, नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) को 4.0 प्रतिशत और वैधानिक तरलता अनुपात (एसएलआर) को 18.50 प्रतिशत पर यथावत बनाये रखने का निर्णय लिया है। रेपो दर वह दर है जिस पर रिजर्व बैंक वाणिज्यिक बैंकों को ऋण देता है।
वर्ष 2020-21 के आम बजट पेश किये जाने के बाद समिति इस पहली बैठक में नीतिगत दराें में कम से कम एक चाैथाई प्रतिशत की उम्मीद की जा रही थी लेकिन समिति ने चालू वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में खुदरा महंगाई के बढ़कर 6.5 प्रतिशत पर पहुंचने की आशंका जताते हुये ब्याज दराें में कमी नहीं करने का निर्णय लिया है।
उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व आरबीआई ने लगातार पांच बार  रेपो दर में 1.35 प्रतिशत की कटौती किया था।

 


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