मुंबई, 22 अगस्त (हि.स.)। भारतीय रिजर्व बैंक ने आवर्ती लेन-देन (व्यापारी भुगतान) के लिए क्रेडिट और डेबिट कार्ड पर ई-मैन्डेट प्रसंस्करण की अनुमति दे दी है।
आरबीआई ने पिछले एक दशक में कार्ड पेमेंट के लिए विभिन्न सुरक्षा और सुरक्षा उपायों को कड़ा कर दिया है। आरबीआई ने सुरक्षा को पुख्ता करने के लिए अतिरिक्त फैक्टर ऑफ ऑथेंटिकेशन (एएफए), विशेषकर लेन-देन के दौरान कार्ड-नॉट-प्रेजेंट की आवश्यकता को भी शामिल किया है। रिकरिंग ट्रांजेक्शन के दौरान कार्डधारकों के साथ ही सभी व्यापारियों को भी इस संबंध में स्थायी निर्देश जारी किए गए हैं। इसके आधार पर आवर्ती लेन-देन को भी एएफए के दायरे में लाया गया है।
आरबीआई की ओर से बताया गया कि उद्योग हितधारकों से ई-मैन्डेट पंजीकरण और पहले लेन-देन के दौरान अतिरिक्त कारक प्रमाणीकरण (एएफए) के साथ लेन-देन के लिए कार्ड पर ई-मैन्डेट के प्रसंस्करण की अनुमति देने के लिए अनुरोध प्राप्त हो रहा था।
आरबीआई ने बताया कि ई-मैन्डेट पंजीकरण, संशोधन और निरस्तीकरण के दौरान एएफए के साथ आवर्ती लेन-देन (व्यापारी भुगतान) के लिए कार्ड पर ई-मैन्डेट के प्रसंस्करण की अनुमति देने का निर्णय लिया गया है। साथ ही पहले लेन-देन के दौरान आसान प्रक्रिया को ऑटोमेटिक करने पर भी जोर दिया गया है, जिससे भविष्य में होने वाले क्रमिक लेन-देन में सुविधा हो सके।
आरबीआई ने कहा कि भुगतान प्रक्रिया में होने वाले बदलावों और ग्राहकों की सुविधा के साथ कार्ड लेन-देन की सुरक्षा को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। कार्ड पर ई-मैन्डेट सुविधा के तहत लेन-देन के लिए अधिकतम स्वीकार्य सीमा 2,000 रुपये होगी।
आवर्ती लेन-देन के लिए कार्ड पर ई-मैन्डेट सुविधा का लाभ उठाने के लिए कार्डधारकों से कोई शुल्क नहीं लिया जाना चाहिए। आरबीआई के दिशा-निर्देशों के तहत सभी प्रकार के कार्ड वैध माने जाएंगे। वॉलेट सहित डेबिट, क्रेडिट और प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट्स (पीपीआई) के जरिए किए जानेवाले लेन-देन पर ई-मैन्डेट लागू होगा।