बांग्लादेश जेल में बंद सन्यासी चिन्मय कृष्ण दास के वकील रवींद्र इलाज के लिए कोलकाता पहुंचे
कोलकाता : बांग्लादेश के इस्काॅन सन्यासी चिन्मय कृष्ण दास के लिए पैरवी करने वाले प्रमुख अधिवक्ता रवींद्र घोष इलाज के लिए कोलकाता के निकट बैरकपुर पहुंचे हैं। उनके पुत्र राहुल घोष ने सोमवार को इसकी पुष्टि की।
अधिवक्ता रवींद्र घोष अपनी पत्नी के साथ रविवार शाम भारत पहुंचे और उत्तर 24 परगना जिले के बैरकपुर में रह रहे अपने पुत्र के घर पर ठहरे हुए हैं। राहुल घोष ने बताया, “मेरे पिता तीन साल पहले एक दुर्घटना का शिकार हुए थे और इलाज के लिए वे अक्सर भारत आते रहते हैं।”
राहुल ने अपने पिता की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई और उनसे कुछ समय तक भारत में ही रहने का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा, “मैंने उनसे निवेदन किया है कि वे फिलहाल बांग्लादेश न लौटें और हमारे साथ यहां रहें। लेकिन वे दृढ़ हैं और चिन्मय दास प्रभु के केस की लड़ाई जारी रखने के लिए वापस जाना चाहते हैं। हमें उनकी सुरक्षा को लेकर गहरी चिंता है।” राहुल, जो भारत में ही पले-बढ़े हैं, बैरकपुर में अपनी पत्नी और बच्चों के साथ रहते हैं।
बांग्लादेश के सम्मिलित सनातनी जागरण जोट के प्रवक्ता चिन्मय कृष्ण दास को इस महीने की शुरुआत में ढाका के हजरत शाहजलाल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर गिरफ्तार किया गया था। वे चटगांव में एक रैली में शामिल होने जा रहे थे। अदालत ने उन्हें जमानत देने से इनकार करते हुए दो जनवरी तक जेल भेज दिया।
रवींद्र घोष, जो चिन्मय दास प्रभु के लिए पैरवी कर रहे हैं, उन्हाेंने पहले ही स्वीकार किया था कि इस मामले में उनका जीवन खतरे में है। उन्होंने कहा था, “चिन्मय दास प्रभु की पैरवी करने के कारण मुझ पर झूठे केस दर्ज किए जा सकते हैं और मेरे जीवन को खतरा है।”
बांग्लादेश में वर्तमान राजनीतिक अस्थिरता के बीच हिंदू समुदाय असुरक्षित महसूस कर रहा है। प्रधानमंत्री शेख हसीना के पांच अगस्त को इस्तीफे और छात्रों के बड़े आंदोलन के बाद वहां पर हिंसा और उथल-पुथल का माहौल है। इस स्थिति ने अल्पसंख्यकों को हिंसा, उत्पीड़न और विस्थापन का शिकार बना दिया है।
1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान बांग्लादेश में हिंदुओं की आबादी 22 प्रतिशत थी, लेकिन दशकों की सामाजिक-राजनीतिक उपेक्षा, हिंसा और पलायन के कारण यह घटकर अब लगभग आठ प्रतिशत रह गई है। हालिया राजनीतिक उथल-पुथल ने इस समुदाय के सामने नई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं।