इतिहास में पहली बार बिना श्रद्धालुओं के निकली जगन्नाथ रथ यात्रा

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श्रद्धालुओं ने टेलीविजन के जरिये रथयात्रा को देखा



पुरी, 23 जून (हि.स.)। आषाढ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर मंगलवार को श्रीजगन्नाथ मंदिर से तीनों रथों की यात्रा शुरू हुई। इतिहास में पहली बार ऐसा हो रहा है कि बिना भक्तों के रथयात्रा निकाली जा रही है। कोविड-19 की स्थिति को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार रथ यात्रा में श्रद्धालु शामिल नहीं हो पाए।रथ यात्रा में केवल सेवायत व सुरक्षाकर्मी ही थे। श्रद्धालुओं ने टेलीविजन के जरिये रथयात्रा को देखा।
सुबह तीन बजे से मंगल आलती के साथ रथयात्रा की नीति शुरू हुई। इसके बाद मइलन, तडपलागी, रोष होम व इसके बाद अवकाश नीति का संपादन किया गया। इसके बाद सूर्य पूजा, द्वारपाल पूजा हुई। इसके बाद गोपालबल्लभ भोग व खिचडी भोग किया गया। श्रीमंदिर के पुरोहितों ने सिंहद्वार के सम्मुख खडे तीनों रथों की प्रतिष्ठा की। महाप्रभु को मंगलार्पण किये जाने के बाद धाडी पहंडी की प्रक्रिया शुरू हुई। तीनों भगवान धाडी पहंडी के जरिये अपने अपने रथों तक आये। सबसे पहले चक्र राज सुदर्शन व देवी सुभद्रा को पहंडी कर उनके रथ दर्पदलन में आरुढ करवाया गया। इसके बाद भगवान बलभद्र धाडी पहंडी के जरिये अपने रथ तालध्वज में आरुढ हुए। सबसे अंत में भगवान जगन्नाथ पहंडी के जरिये उनके रथ नंदीघोष में आरुढ हुए।
भगवान जगन्नाथ, बलभद्र व देवी सुभद्रा के रथारुढ होने के बाद पुरी के गोवर्धन पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने तीनों रथों पर जाकर भगवान के दर्शन किये। उनके साथ उनके शिष्यों ने भी दर्शन किये।
इसके बाद की रीति नीति का अनुपालन होने के पश्चात भगवान जगन्नाथ के आद्य सेवक माने जाने वाले पुरी के गजपति महाराज दिव्य सिंह देव राजनअर (राजप्रासाद) से यहां पहुंचे तथा तीनों रथों में छेरा पहँरा की नीति संपन्न की। इसके बाद रथों की खींचने की प्रक्रिया शुरू हुई। सबसे पहले भगवान बलभद्र की रथ तालध्वज को खींचने की प्रक्रिया शुरू हुई। इसके बाद देवी सुभद्रा की दर्पदलन व सबसे अंत में नंदीघोष रथ को खींचा गया।
उधर, सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार प्रशासन ने पुरी जिले में सोमवार रात से शटडाउन (कर्फ्यू जैसी) की घोषणा की थी जो बुधवार दोपहर 12 बजे तक रहेगी। पुरी पहुंचने के सभी मार्गों को सील कर दिया गया है। इसके लिए 50 पलाटून फोर्स तैनात की गई है।

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