विदेशी पक्षी के कलरव से गूंज उठा मोदी सरकार द्वारा घोषित रामसर साइट ”काबर”

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बेगूसराय, 14 नवंबर (हि.स.)। एशिया में मीठे पानी का सबसे बड़ा झील, बिहार का एकलौता रामसर साइट और भारत के सबसे बड़े पक्षी विहार राजस्थान के भरतपुर पक्षी विहार से भी चार गुना बड़ा बिहार का काबर टाल पक्षी विहार एक बार फिर विदेशी मेहमान पक्षियों के कलरव से गूंज उठा है। पिछले सप्ताह से तापमान में गिरावट आने के साथ ही यहां प्रत्येक दिन साइबेरियन समेत विभिन्न विदेशी प्रजाति के पक्षियों के आने का सिलसिला लगातार जारी है। पानी से लबालब भरे काबर में विदेशी पक्षियों के आने के साथ रोज बड़ी संख्या में लोग आकर नौका पर जलविहार करने के साथ-साथ विदेशी पक्षियों का सौंदर्य दर्शन तथा काबर के पानी में फैले जड़ी-बूटियों की खुशबू का आनंद ले रहे हैं। काबर के महालय, कोचालय, रजौड़ा डोभ, बहोरा डोभ, जरलका, धरारी, मेशहा, धनफर, पटमारा, पइनपीवा, भरहा, दशरथरही, लरही, धनफर, भिलखरा, गुआवारी, सतावय डोभ, सखीया डेरा एवं बोटमारा आदि बहियार इलाकों में साइबेरियाई देशों, रुस, मंगोलिया, चीन आदि से आए लालसर, दिधौंच, सरायर, कारन, डुमरी, अधंग्गी, अरुन, बोदइन एवं कोइरा आदि चिड़ियों की चहल-पहल तेज हो गई है। काबर के किसान, जानकार और लेखक महेश भारती बताते हैं कि जैव विविधता से परिपूर्ण काबर वेटलैंड प्रवासी पक्षियों का स्वर्ग है।

काबर में 165 से अधिक प्रकार की वनस्पतियों की प्रजातियां पाई जाती है, 394 से भी अधिक प्रकार के जीवों का भी वासस्थल है, इनमें देसी और विदेशी 221 प्रजातियों की पक्षियां शामिल हैं। यहां करीब 60 प्रजातियों के पक्षी मध्य एशिया, चीन, मंगोलिया और साइबेरिया आदि जगहों से नवंबर में आते हैं और मार्च तक प्रवास करते हैं। भारत के सबसे बड़े भरतपुर पक्षी विहार से चार गुना बड़ा बिहार का काबर टाल पक्षी विहार अपनी जैव विविधताओं के लिए प्रसिद्ध है। काबर टाल का महत्व उसकी जैव विविधता को लेकर है, इसी महत्व को लेकर पिछले साल काबर को बिहार का पहला और देश का 39 वां रामसर साइट घोषित किया गया है। जिसके बाद काबर को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिल गया तथा इस वर्ष पूरे देश की तरह काबर भी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, जैव विविधता को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में है।

जानकारों का कहना है कि अपने वास स्थान में पड़ने वाले बर्फ और प्रतिकुल मौसम से बचने और अनुकूल वासस्थान की खोज के लिए ये पक्षी हजारों किलोमीटर की दूरी तय कर आते हैं, इन्हें बुलाने में काबर पारिस्थितिकी तंत्र कारगर साबित होता है। फिलहाल काबर में हर ओर पक्षियों की चहचहाहट गूंज रही है। सूर्योदय तथा सूर्यास्त के समय जब यह पक्षी के झुंड में उड़ते हैं तो काबर के आस-पास के गांव में भी अद्भुत नजारा दिखता है। इन्हीं नजरों से आकर्षित होकर लोग काबर कि वह रुख करते हैं, जो स्थानीय स्तर पर आत्मनिर्भरता का स्रोत बनता है। पिछले महीने सरकार द्वारा लगाए गए रामसर साइट के बोर्ड को पढ़कर लोग बरबस ही नाव से रामसर साइट में विदेशी पक्षियों के कलरव का नजारा देखने के लिए काबर के अंदर की ओर चल पड़ते हैं।


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