रांची, 21 दिसम्बर (हि.स.)। राजधानी के चर्चित बीटेक छात्रा हत्याकांड में शनिवार को सीबीआई के विशेष न्यायाधीश अनिल कुमार मिश्रा की अदालत ने दोषी करार दिए गए राहुल राज को फांसी की सजा सुनाई है। सीबीआई के विशेष न्यायाधीश अनिल कुमार मिश्रा की अदालत ने राहुल को शुक्रवार को इस मामले में दोषी करार दिया था।
इस मामले में अदालत ने सिर्फ 16 कार्य दिवस में 30 गवाहों के बयान दर्ज कर सुनवाई की प्रक्रिया पूरी की। दोनों पक्षों की बहस महज दो दिन में पूरी की गई। आरोपित की ओर से बचाव में कोई गवाह पेश नहीं किया गया। सीबीआई के अधिवक्ता राकेश प्रसाद ने 25 अक्टूबर से 8 नवम्बर के बीच 30 गवाहों का बयान दर्ज कराया।
उल्लेखनीय है कि सीबीआई ने राहुल राज को लखनऊ जेल से हिरासत में लेकर रांची आई थी। दोषी ने लखनऊ में भी दुष्कर्म किया था और गिरफ्तारी के बाद वहां की जेल में बंद था। सीबीआई ने 10 दिनों की रिमांड पर लेकर उससे पूछताछ की थी। जांच अधिकारी ने 19 सितम्बर को चार्जशीट दाखिल की थी। सीबीआई 23 वर्षीय आरोपित को लखनऊ जेल से प्रोडक्शन वारंट पर 22 जून को रांची लेकर पहुंची थी। इसके बाद उसे बिरसा मुंडा जेल भेज दिया गया था।
क्या है पूरा मामला
रांची के सदर थाना क्षेत्र के बूटी बस्ती में 15 दिसम्बर 2016 की रात बीटेक छात्रा के साथ हुए दुष्कर्म के बाद नृशंस तरीके से उसकी हत्या कर दी गई थी। आरोपी ने छात्रा के चेहरे पर मोबिल ऑयल डालकर आग लगा दी थी। हत्या इतने भयावह तरीके से की गई थी कि पूरे इलाके में लगातार कई महीनों तक खौफ का माहौल रहा। पुलिस और सीआईडी की जांच में हत्याकांड का खुलासा नहीं होने पर 28 मार्च 2018 को इस मामले में सीबीआई ने प्राथमिकी दर्ज की थी। आरोपी राहुल को 22 जून 2019 को रांची की सीबीआई कोर्ट में पेश किया था। रिमांड पर लेकर पूछताछ में घटना की परत खुलती चली गई।
आरोपित राहुल के दोस्त अक्षय कुमार ने गवाही में बताया था कि घटना के कुछ घंटों बाद उसे लेकर राहुल मौके पर पहुंचा था। उस समय युवक के घर के बाहर भीड़ लगी हुई थी। घटना की शाम राहुल पटना चला गया था। वहां से फोन कर पुलिसिया कार्रवाई की जानकारी लेता था। उसने बताया कि घटना के कुछ दिनों पहले आरोपित राहुल बिहार के नालंदा से रांची आने पर उसे एक किराए का रूम दिलाने के लिए कहा था। रूम नहीं मिलने पर मोहल्ले के ही एक मंदिर के पीछे वाले कमरे में स्थाई रूप से रहने की व्यवस्था करा दी थी। मंदिर में रहने के दौरान मोहल्ले के बच्चों से लड़की के बारे में वह अक्सर पूछता था। इस मामले में बीटेक छात्रा की दो बहनों ने अदालत को बताया था कि घटना के कुछ दिन पहले आरोपी राहुल किराए का कमरा लेने के लिए उसके घर आया था। परिवार वालों ने लड़के को कमरा देने से मना कर दिया था। उसी दिन के बाद से कई बार हुआ था कि राहुल उसकी बहन का पीछा कर रहा है। घटना से पहले घर के आसपास उसे घूमते हुए भी देखा गया था लेकिन घटना के बाद से उसे कभी नहीं देखा गया।
जांच के दौरान सीबीआई को पता चला कि घटना से दो-तीन माह पूर्व दुर्गा मंदिर के कमरे में राहुल नाम का युवक रुका था जो इस घटना के बाद से लापता है। टीम मंदिर के एक युवक बंटी से मिली जिसने राहुल के बारे में जानकारी दी। फिर टीम राहुल के गांव धूलगांव पहुंची। आरोपित के माता-पिता के खून के नमूने लेकर जांच के लिए भेज दिया। आरोपित की मां के खून की डीएनए रिपोर्ट और मृतका के शरीर पर नाखून के भीतरी अंश की डीएनए रिपोर्ट आपस में मिल गयी। इसके बाद सीबीआई ने उसे लखनऊ की जेल से हिरासत में ले लिया।
आरोपी राहुल नालंदा के घुरा गांव का रहने वाला है। सितम्बर 2016 में राहुल नालंदा से भागकर बूटी बस्ती पहुंचा था। उसने पीड़िता के घर के पास स्थित दुर्गा मंदिर परिसर में एक कमरा रहने के लिए लिया। राहुल रात में ऑटो चलाता था। राहुल बूटी बस्ती में रहने के दौरान वहां रहने वाली लड़कियों पर नजर रखता था। घटना वाले दिन राहुल ने मृतक छात्रा को अकेला पाया। उसके घर में वह उस समय घुसा। घटना को अंजाम देने से पहले राहुल ने रात 10 बजे ही अपना मोबाइल स्विच ऑफ कर दिया था। जो अगले दिन 10 बजे तक बंद था। मामले की जांच पहले झारखंड पुलिस ने की। सभी तरह के जांच के बावजूद मामले में सफलता नहीं मिली तब मामले को सीआईडी को सौंपा गया। पूर्व डीजीपी सहित राज्य के वरीय अधिकारी घटनास्थल पहुंचकर घंटों जांच पड़ताल भी की थी। बावजूद सीआईडी को भी मामले में सफलता नहीं मिली। इसके बाद सीबीआई ने 28 मार्च 2018 को केस को अपने हाथों में ले लिया।