रामसर साइट काबर भी मना रहा है आजादी का अमृत महोत्सव, दिख रही है आत्मनिर्भरता
बेगूसराय, 25 अक्टूबर (हि.स.)। अंग्रेजों की दासता से मुक्ति के 75 वें वर्ष में पूरे भारत में मनाए जा रहे आजादी के अमृत महोत्सव में बिहार का एकलौता रामसर साइट काबर भी सहभागी बन गया है। बिहार के एकमात्र रामसर साइट और एशिया फेमस मीठे पानी के झील बेगूसराय के काबर को प्रकृति ने दोनों हाथों से संवार कर पानी से भर दिया है। जिसके कारण यहां ना केवल आत्मनिर्भरता को एक नई दिशा मिल रही है, बल्कि पर्यटन की संभावनाएं भी काफी बढ़ गई है। रोज बड़ी संख्या में लोग यहां आकर झील की सैर कर रहे हैं। जिससे बेरोजगारी का दंश झेल रहे नाविकों और परदेश में रहकर मजदूरी करने वाले युवाओं को स्थानीय स्तर पर रोजगार मिलने लगा है। दूरदराज के लोग झील में नौका विहार कर यहां के प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद ले रहे हैं। कई वर्षों के बाद पानी लबालब भरे होने से रोजगार की संभावना बढ़ गई और 50 से भी अधिक नाविक परिवार काबर झील के सहारे आत्मनिर्भरता की नई गाथा लिख रहे हैं।
यूं तो 21 जुलाई 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भारत सरकार के सहयोग से वेटलैंड की चर्चित अंतरराष्ट्रीय संस्था द्वारा काबर झील को रामसर साइट में शामिल करने के साथ यहां पर्यटन के विकास की संभावना तेज हो गई थी लेकिन इस वर्ष जब पूरा देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है तो काबर झील को भी इसमें जोड़ दिया गया। काबर के मुहाने पर जहां पर्यटकों की भीड़ जुटती है, वहां बोर्ड लगाकर स्पष्ट किया गया है कि 2620 हेक्टेयर में फैला यह काबर वेटलैंड दुनिया का 2436 वां रामसर साइट है। मीठे पानी के झाड़ी के लिए चर्चित इस वेटलैंड का मैनेजमेंट बिहार राज्य आर्द्रभूमि अथॉरिटी करेगी। बोर्ड पर नई जानकारी पाकर लोग रोमांचित हो रहेे हैं तथा कई वर्षों के बाद पानी से लबालब भरे काबर में खिला रंग-बिरंगा कमल, जीव-जंतु और पेड़-पौधा लोगों को अमृत महोत्सव में प्रकृति के अमृत वातावरण का सुकून दे रहा है। खूबसूरत नजारा देखकर लोग आनंदित हो रहे हैं और सोशल मीडिया पर फोटो डालते हैं तो अन्य लोग भी काबर की ओर चल पड़े हैं, इससे नाविकों के परिवार में खुशहाली छा गई है। 50 से अधिक नाविक सुबह से ही तैयार होकर झील किनारे पहुंच जाते हैं, जहां दिनभर लोगों के आने-जाने का सिलसिला लगा है।
नाविक विनोद और मोहन ने बताया कि काबर हम लोगों के जीविका का साधन रहा है। लेकिन पिछले वर्षों में पानी सूख जाने और सरकारी उदासीनता के कारण हम लोग परदेस कमाने चले गए थे। पिछले दो साल से काबर में पानी भर गया है और जब सरकार ने इसके विकास की प्रक्रिया शुरू कर दी तो परदेश छोड़कर गांव आ गए। यहां नाव चला कर, मछली पकड़ कर जीविकोपार्जन कर रहे हैं, बिहार का यह अनमोल चीज अब हमारे आत्मनिर्भरता का साधन बनता जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि बिहार के बेगूसराय में स्थित काबर झील एशिया में मीठे पानी का सबसे बड़ा झील है। 15 हजार हेक्टेयर से अधिक में फैले काबर में साइबेरियन समेत दुनिया के विभिन्न देशों और भारत के तमाम हिस्सों से बड़ी संख्या में पक्षी प्रवास करने आतेे हैं। सरकार ने 80 के दशक में इसे पक्षी विहार बनाया, 90 के दशक में इसे पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने का प्रयास करते हुए रामसर साइट में सम्मिलित किया गया, फिर इस पर ध्यान नहीं दिया जाने के कारण रामसर संस्था ने अपने साइट से निकाल दिया और काबर बदहाली की ओर बढ़ चला। 2020 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नजर में जब काबर पहुंचा तो फिर से रामसर साइट मेंं शामिल कर यहां केेे विकास की क्रमबद्ध प्रक्रिया शुरू हो चुकी है तथा काबर पर्यटकों को आकर्षित करने लगा है।