अयोध्या, 14 दिसम्बर (हि.स.)। श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण में धन एकत्र करने के लिए ट्रस्ट के नेतृत्व में कार्यकर्ता मकर संक्रांति से जनसंपर्क प्रारंभ करेंगे और करोड़ों घरों में भगवान के मंदिर का चित्र पहुँचाएंगे। माघ पूर्णिमा तक इसे पूरा कर लिया जाएगा। लाखों रामभक्त इस अभियान के लिये अपना पूर्ण समय समर्पित करेंगे। मंदिर निर्माण के लिए देश के हर कोने के घरों से सहयोग लेने के लिए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने दस रुपया, सौ रुपया, एक हजार रुपये के कूपन व रसीदें छापी हैं।
ट्रस्ट के महासचिव एवं विश्व हिंदू परिषद् के उपाध्यक्ष चंपत राय ने सोमवार को बताया कि श्री जन्मभूमि मंदिर से जुड़ी इतिहास की सच्चाइयों को सर्वोच्च अदालत ने स्वीकार किया। भारत सरकार ने न्यायालय के निर्देश पर श्रीराम जन्मभूमि के लिए “श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र” नाम से ट्रस्ट गठित किया। प्रधानमंत्री ने 5 अगस्त को अयोध्या में पूजन करके मंदिर निर्माण की प्रक्रिया को गति प्रदान की है।
उन्होंने कहा कि मंदिर के वास्तु का दायित्व अहमदाबाद के चंद्रकान्त सोमपुरा जी पर है। वे वर्ष 1986 से जन्मभूमि मन्दिर निर्माण की देखभाल कर रहे हैं। लार्सन टुब्रो कम्पनी को मंदिर निर्माण का कार्य दिया है, निर्माता कंपनी के सलाहकार के रूप में ट्रस्ट ने “टाटा कंसल्टेंट इंजीनियर्स“ को चुना है। संपूर्ण मंदिर पत्थरों से बनेगा। मन्दिर तीन मंजिला होगा। प्रत्येक मंजिल की ऊँचाई 20 फीट होगी, मंदिर की लंबाई 360 फीट तथा चौड़ाई 235 फीट है, भूतल से 16.5 फीट ऊँचा मंदिर का फर्श बनेगा, भूतल से गर्भगृह के शिखर की ऊँचाई 161 फीट होगी।
धरती के नीचे 200 फीट गहराई तक मृदा परीक्षण तथा भविष्य के सम्भावित भूकम्प के प्रभाव का अध्ययन हुआ है। जमीन के नीचे 200 फीट तक भुरभुरी बालू पायी गयी है, गर्भगृह के पश्चिम में कुछ दूरी पर ही सरयू नदी का प्रवाह है। इस भौगोलिक परिस्थिति में 1000 वर्ष आयु वाले पत्थरों के मन्दिर का भार सहन कर सकने वाली मजबूत व टिकाऊ नींव की ड्राइंग पर आईआईटी बंबई, आईआईटी दिल्ली, आईआईटी चेन्नई, आईआईटी गुवाहाटी, केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान रुड़की, लार्सन टूब्रो व टाटा के इंजीनियर आपस में परामर्श कर रहे हैं। बहुत शीघ्र नींव का प्रारूप तैय्यार होकर नीव निर्माण कार्य प्रारम्भ होगा।
उन्होंने कहा कि भारत वर्ष की वर्तमान पीढ़ी को इस मंदिर के इतिहास की सच्चाइयों से अवगत कराने की योजना बनी है। देश की कम से कम आधी आबादी को श्रीराम जन्मभूमि मंदिर की एतिहासिक सच्चाई से अवगत कराने के लिये देश के प्रत्येक कोने में घर- घर जाकर संपर्क करेंगे। अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, अंडमान निकोबार, रणकच्छ, त्रिपुरा सभी कोनों में जाएँगे, समाज को राम जन्मभूमि के बारे में पढ़ने के लिए साहित्य दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि जिस प्रकार जन्मभूमि को प्राप्त करने के लिये लाखों भक्तों ने कष्ट सहे, सतत सक्रिय सहयोग किया, उसी प्रकार करोड़ों लोगों के स्वैच्छिक सहयोग से मन्दिर बने। स्वाभाविक है जब जनसंपर्क होगा लाखों कार्यकर्ता गाँव-मोहल्लों में जाएँगे तो समाज स्वेच्छा से कुछ न कुछ निधि समर्पण करेगा। मंदिर निर्माण के लिए धन के प्रबंध पर उन्होंने बताया कि भगवान के कार्य में धन बाधा नहीं हो सकता। आर्थिक विषय में पारदर्शिता बहुत आवश्यक है, पारदर्शिता बनाए रखने के लिए हमने दस रुपया, सौ रुपया, एक हजार रुपया के कूपन व रसीदें छापी हैं। करोड़ों घरों में भगवान के मंदिर का चित्र पहुँचेगा। जनसंपर्क का यह कार्य मकर संक्रांति से प्रारंभ करेंगे और माघ पूर्णिमा तक पूर्ण होगा। लाखों रामभक्त इस ऐतिहासिक अभियान के लिये अपना पूर्ण समय समर्पित करें।