34 की मौत, 155 घायल राजस्थान में पांच वर्षों में जंगली जानवरों के हमले में
उन्होंने माना कि रणथंभौर बाघ परियोजना में वर्ष 2015 से लेकर 2020 तक 47 व्यक्तियों पर बाघ हमले कर चुका हैं, जबकि छह मामलों में सैलानियों की मौतें हो चुकी हैं। करौली बाघ परियोजना में दस प्राणघातक हमले हुए हैं, जिनमें सिर्फ सैलानी घायल हुए। सवाई माधोपुर के राष्ट्रीय चम्बल घडिय़ाल अभयारण्य में इस अवधि में मगरमच्छ के प्राणघातक हमलों में तीन लोग घायल हुए, जबकि 10 लोगों की मौत हुई। एकमात्र भरतपुर के केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में इस अवधि के दौरान किसी तरह का ऐसा मामला नहीं रहा।
उन्होंने बताया कि अलवर की सरिस्का बाघ परियोजना के अजबपुरा, बैरावास, नाथूसर रेंज में 2015-16 में चार, सांवतसर, भडाज, रायपुरा भाल, अकबरपुर, खुर्रावाला मंदिर, जैतपुर पहाड़ तथा सीलीबावड़ी रेंज में 2016-17 में सात तथा इन्दौक, तंवरों की ढाणी, हाजीपुर में चार, वर्ष 2017-18 में रेंज अजबगढ़ के बस्सी जंगल, बसई जोगियान में दो, 2018-19 में बीट दुहार, गुवाड़ा राड़ी, मीनाला रेंज, टोडी लुहारान, जमवारामगढ़ की दीपोला में सात तथा 2019-20 में कटिया जंगल में एक सैलानी पर प्राणघातक हमले की वारदात हुई।
सरकार ने यह जरुर स्वीकार किया है कि रणथंभौर बाघ परियोजना में बाघों के बढ़ते कुनबे के कारण बाघ अब परियोजना क्षेत्र से बाहर निकलने लगे है। बाघ एवं वन्यजीव वन क्षेत्र से आबादी अथवा कृषि क्षेत्र में नहीं निकले, इसके लिए वन क्षेत्रों व टाईगर रिजर्व क्षेत्रों मे आवास सुधार के कार्य करवाए जा रहे हैं। बाघ परियोजना क्षेत्रों में स्थित ग्रामों के विस्थापन के प्रयास भी किए गए हैं, ताकि बाघ व वन्यजीवों के लिए अतिरिक्त सुरक्षित क्षेत्र उपलब्ध हो सके।