नई दिल्ली, 17 जुलाई (हि.स.)। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को लोकसभा में भारत-चीन सीमा को लेकर देश को आश्वस्त करते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच वास्तविक सीमा को लेकर स्पष्टता के अभाव के चलते कभी-कभी टकराव की स्थिति उत्पन्न होती है। इन्हें सुलझाने के लिए दोनों देशों ने विभिन्न तंत्र विकसित किए हैं। भारत सीमा सुरक्षा को लेकर पूरी तरह से सतर्क है और समय-समय पर स्थिति की समीक्षा होती रहती है।
बुधवार को राजनाथ सिंह ने कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी के सवाल के जवाब में सदन को बताया कि भारत और चीन की सीमा लम्बे समय से शांति बनी हुई है। दोनों देशों के बीच वास्तविक सीमा को लेकर अलग-अलग अवधारणा के चलते कभी-कभी घेराबंदी और टकराव की स्थिति पैदा होती है, लेकिन इन्हें बातचीत के माध्यम से सुलझा लिया जाता है।
उन्होंने बताया कि सैन्य और राजनयिक स्तर पर विवाद सुलझाने के विभिन्न तंत्र विकसित किए गए हैं। सैन्य स्तर पर दोनों देशों के अधिकारियों के बीच बार्डर, फ्लैग और हाटलाइन के माध्यम से संवाद होता है। राजनयिक माध्यम से राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारियों की छह महीने में बैठकें होती हैं।
रक्षामंत्री ने कहा कि पिछले साल भारतीय प्रधानमंत्री और चीनी राष्ट्रपति के बीच बुहान में एक अनौपचारिक बैठक हुई थी, जिसके बाद दोनों देशों के सैन्य बलों को दिशा-निर्देश दिए गए थे। राजनाथ ने सदन को बताया कि भारत सीमा क्षेत्र में सड़क, रेल और एयरफिल्ड विकसित कर रहा है। डोकलाम सीमा विवाद पर अगस्त 2017 में चर्चा हुई थी। दोनों देशों ने पूरी तरह से संयम से काम लिया है और आपसी समझौतों का सम्मान करते हैं।