लखनऊ, 25 नवम्बर (हि.स.)। रक्षामंत्री व लखनऊ के सांसद राजनाथ सिंह ने लखनऊ विश्वविद्यालय की स्थापना के सौ साल पूरे होना जहां हम सभी के लिए प्रसन्नता का विषय है, यह भारतीय शिक्षा जगत की एक ऐतिहासिक घटना भी है। यह ऐतिहासिक घटना इसलिए है, क्योंकि भारत के कुछ ही विश्वविद्यालय ऐसे हैं जिन्होंने अब तक अपना शताब्दी वर्ष मनाया है।
रक्षामंत्री लखनऊ विश्वविद्यालय के शताब्दी वर्ष स्थापना दिवस समारोह को बुधवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि लखनऊ विश्वविद्यालय भारत के सर्वाधिक पुराने शिक्षण संस्थाओं में से एक है और यह संस्था 1862-63 के करीब कैनिंग कॉलेज के रूप में प्रारंभ हुई और 1920 में यह विश्वविद्यालय के रूप में परिवर्तित हुई। यह संयोग ही है कि भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बाद यह कॉलेज के रूप में स्थापित हुआ उसके बाद जब भारत के राजनीतिक स्वतंत्रता आंदोलन की शुरुआत हुई, जो 1920 के असहयोग आंदोलन से जुड़ जोड़कर देखा जाता है, उस समय में इसे विश्वविद्यालय का स्वरूप मिला।
राजनाथ सिंह ने कहा कि इस तरह भारतीय राष्ट्र की चेतना के साथ विश्वविद्यालय के विकास क्रम का यह अद्भुत संयोग दिखा। उन्होंने कहा कि जब कोई संस्था 100 साल पूरे करती है, तो यह संस्थान की मजबूती और प्रतिष्ठा से तो जुड़ता ही है साथ ही संस्थान की गौरवशाली परंपरा को भी एक नया स्वरूप प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि लखनऊ विश्वविद्यालय के सौ वर्षों का इतिहास अगर हम पलट कर देखें तो पाएंगे कि एक से एक महान शख्सियत एस विश्वविद्यालय परिसर में पली, बढ़ी हैं। उन्होंने कहा कि डॉ. बीरबल साहनी से लेकर भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. शंकर दयाल शर्मा तक ना जाने कितने महान शख्सियत से जुड़ी यादों को यह विश्वविद्यालय अपने में समेटे हुए है।
लखनऊ विश्वविद्यालय के पास आईटी चौराहे पर हिंदी के प्रख्यात कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की मूर्ति है, जिसके नीचे उनकी कालजई रचना ‘भारति, जय, विजयकरे! कनक-शस्य-कमलधरे’ अंकित है। दूसरे छोर पर जहां भाऊराव देवरस द्वार है, उसके सामने हनुमान सेतु का मंदिर है, जिसका वर्तमान स्वरूप नीमकरोरी बाबा ने दिया था।
राजनाथ सिंह ने कहा कि व्हाट्सएप, फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग ने स्वयं कहा था कि एप्पल के संस्थापक स्टीव जॉब्स ने उन्हें यह बताया था कि यदि जीवन में कभी कोई हताशा में फंस जाओ, आत्मविश्वास खत्म होता देखें तो भारत में जाना, जहां नैनीताल जिले में कैंची नामक स्थान पर नीम करोली बाबा का एक मंदिर है। वहां से तुम्हें नई ऊर्जा और अद्भुत प्रेरणा मिलेगी। राजनाथ सिंह ने कहा मार्क जुकरबर्ग ने बताया कि एक दौर में जब उन्हें लगा कि सब खत्म हो गया और वह घोर निराशा में थे, तब वह नीम करौरी बाबा के कैंची धाम में गए और वहां उन्हें नई चेतना का आभास हुआ और बाद में उन्होंने वह सब कुछ किया जो आज इतिहास बन चुका है।
राजनाथ सिंह ने कहा कि उन्होंने ये उदाहरण इसलिए दिया ताकि सभी समझ सके कि विश्वविद्यालय के मुख्य प्रवेश द्वार पर ही प्रेरणा का वह मंदिर है, जिसने आधुनिक विश्व में इतना बड़ा परिवर्तन किया तो नई पीढ़ी यहां से प्रेरणा लेकर क्या क्या नहीं कर सकती है। उन्होंने कहा कि वहीं मन में संदेह उत्पन्न हो कि हम यह नहीं कर पाएंगे, तो विश्वविद्यालय के पीछे वाले छोर यानी डालीगंज की तरफ चले जाएं, जहां मनकामेश्वर महादेव विराजमान हैं। वहां मनोकामना पूर्ण होगी इसमें कोई संदेह नहीं है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय का इतिहास और उसका भूगोल शताब्दी वर्ष में यहां के छात्रों को अद्भुत प्रेरणा दे रहा है। रक्षामंत्री ने कहा कि इस विश्वविद्यालय परिसर में वह तब से लगातार आते रहें हैं, जब वह उत्तर प्रदेश के शिक्षा मंत्री थे। इसलिए उन्हें भी इस विश्वविद्यालय के गौरवशाली परंपरा से जुड़ने का एक सौभाग्य मिला है।
उन्होंने कहा कि ये मौका भले ही शताब्दी वर्ष का है लेकिन सच्चाई यह भी है कि इस समय देश 21वीं सदी की अब तक की सबसे बड़ी चुनौती कोरोना जैसी महामारी के संकट से गुजर रहा है। इस महामारी ने भारत ही नहीं पूरी दुनिया के सामने बड़ी चुनौती खड़ी की है। आज पूरी दुनिया इस संकट से निपटने के लिए नई-नई तरकीबें लगा रही है। भारत ने इस चुनौती को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अवसर में बदलने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि जब भी किसी चुनौती के मुकाबला करने का क्षण आता है, तो सबसे आगे देश के युवा निकल कर आते हैं। कोरोना संकट से निपटने में जहां चिकित्सकों, पैरामेडिकल स्टाफ, सफाई कर्मी आदि ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई है, वहीं बड़ी संख्या में युवाओं ने भी कोरोना योद्धाओं के रूप में काम किया है।
उन्होंने कहा कि जब कोई संस्था सौ साल पूरे करती है, जब कोई संस्थान लम्बे समय तक टिका रहा तो तय है कि नींव मजबूत थी। लखनऊ विश्वविद्यालय का इतिहास और भूगोल दोनों गौरवमयी हैं। उन्होंने कहा, आत्म निर्भर भारत धनवान, ज्ञानवान और चरित्रवान भी होगा। स्वामी विवेकानन्द कहते थे कि हमारे देश में संस्कृति व्यक्ति को बनाती है। आप आगे बढ़ेंगे तो भारत आगे बढ़ेगा। आपके साथ भारत की संस्कृति है।
उन्होंने कहा कि हम बड़े सुधार और बड़े बदलाव कर रहे हैं। हम पांच ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था बनेंगे। उन्होंने कहा कि इस साल केन्द्र सरकार ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति दी है। हमारी शिक्षा नीति का उद्देश्य ‘वॉट टू थिंक’ था। अब हमारी नीति ‘हाउ टू थिंक’ कहती है। नई शिक्षा नीति 21वीं सदी के बदलते भारत से मेल खाती है। यह नूतन और पुरातन शिक्षा का समागम भी है।