कोलकाता, 14 सितम्बर (हि.स.)। अरबों रुपये के सारदा चिटफंड घोटाला मामले में साक्ष्यों को मिटाने के आरोपित कोलकाता पुलिस के पूर्व आयुक्त आईपीएस राजीव कुमार केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के नोटिस को नजरअंदाज करते हुए शनिवार को पूछताछ के लिए हाजिर नहीं हुए।
शुक्रवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय ने उनकी गिरफ्तारी पर लगी रोक हटा ली थी और उन्हें गवाह अथवा आरोपित के तौर पर नोटिस भेजने का अधिकार सीबीआई को दिया था।
अदालत की ओर से राजीव कुमार को भी पूछताछ में सहयोग करने का निर्देश दिया गया था। इसके तुरंत बाद सीबीआई के दो अधिकारी कुमार के घर गए थे। उन्हें नोटिस देकर शनिवार सुबह 10 बजे पूछताछ के लिये हाजिर होने को कहा गया था लेकिन राजीव कुमार अपराहन दो बजे तक जांच एजेंसी के दफ्तर में नहीं पहुंचे हैं।
एजेंसी सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि राजीव कुमार ने अपनी अनुपस्थिति को लेकर कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया है। राजीव कुमार फिलहाल राज्य सीआईडी के एडीजी के पद पर तैनात हैं। भवानी भवन स्थित सीआईडी मुख्यालय में भी वह मौजूद नहीं है। शुक्रवार को उन्होंने छुट्टी ली थी लेकिन शनिवार को वह क्यों नहीं पहुंचे इसे लेकर भी कोई कुछ भी कहने को तैयार नहीं है।
राजीव कुमार को गिरफ्तार करने के लिए सीबीआई ने भी चौतरफा जाल बिछाना शुरू कर दिया है। कानून विशेषज्ञों का कहना है कि राजीव कुमार जांच एजेंसी से जितना अधिक भागेंगे उतनी अधिक उनकी गिरफ्तारी की संभावना प्रबल होगी।
उल्लेखनीय है कि सारदा, रोजवैली जैसी चिटफंड कंपनियों की जांच के लिए राज्य सरकार ने 2013 में विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया था जिसके मुखिया राजीव कुमार थे। इस एसआईटी ने ही सारदा प्रमुख सुदीप्त सेन और देवयानी को जम्मू कश्मीर के सोनमार्ग से गिरफ्तार किया था। दोनों के पास से एक लाल डायरी और लैपटॉप बरामद हुए थे जिसमें कथित तौर पर उन लोगों का नाम था जिन्होंने चिटफंड कंपनी से पैसे लिए थे। दावा है कि इसमें सबसे अधिक सत्तारुढ़ तृणमूल के शीर्ष नेताओं का नाम था। आरोप है कि उस लाल डायरी और अन्य दस्तावेजों को राजीव कुमार के निर्देश पर नष्ट कर दिया गया। 2014 में जब सीबीआई ने कोर्ट के निर्देश पर इस मामले की जांच शुरू की तो उसे लाल डायरी और लैपटॉप नहीं दिया गया। इसी को लेकर राजीव कुमार से सीबीआई के रडार पर हैं।