कोलकाता, 28 मई (हि.स.)। अरबों रुपये के सारदा चिटफंड घोटाला मामले में जांच कर रही केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) साक्ष्यों को मिटाने के आरोपित कोलकाता पुलिस के पूर्व आयुक्त राजीव कुमार को और अधिक समय नहीं देना चाहती। कोलकाता के साल्टलेक सीजीओ कंपलेक्स में स्थित एजेंसी के पूर्वी क्षेत्रीय मुख्यालय से एक रिपोर्ट तैयार कर दिल्ली केंद्रीय मुख्यालय में भेजा गया है। वहां से सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाकर राजीव कुमार को फरार घोषित करते हुए गिरफ्तारी का वारंट जारी कराने की तैयारी की जा रही है।
दरअसल इस मामले में राजीव की गिरफ्तारी पर लगी रोक को 17 मई को सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति राजीव खन्ना और इंदिरा बनर्जी की खंडपीठ ने हटा दी थी और राजीव को अग्रिम जमानत के लिए एक सप्ताह का समय दिया था। इसके लिए उन्हें पश्चिम बंगाल की निचली अदालत में याचिका लगानी थी, लेकिन समय सीमा खत्म हो गई है और राजीव कुमार को अग्रिम जमानत नहीं मिली है। रविवार को सीबीआई की टीम ने उन्हें कोलकाता के आईपीएस आवास, डीसी साउथ मिराज खालिद के आवास और भवानी भवानी स्थित सीआईडी मुख्यालय में तलाशा था पर वे नहीं मिले। इसके बाद उन्हें सोमवार सुबह 10 बजे हाजिर होने का नोटिस दिया गया था, लेकिन वह नहीं आए।
उल्लेखनीय है कि रविवार को ही राज्य सरकार ने राजीव कुमार को सीआईडी के एडीजी के पद पर बहाल किया था। सोमवार को सीआईडी के दो अधिकारियों ने सीबीआई दफ्तर में जाकर राजीव कुमार की ओर से एक चिट्ठी दी है।इसमें आगामी रविवार तक के लिए उनके छुट्टी पर होने की जानकारी दी गई है और उसके लिए हाजिर होने हेतु रविवार तक का समय मांगा है। सोमवार सारा दिन सीबीआई ने इस मामले में चुप्पी साधे रखी थी। रिपोर्ट आदि तैयार कर केंद्रीय मुख्यालय को भेजा जा रहा था। अब मंगलवार को पता चला है कि दरअसल राजीव कुमार की छुट्टी गिरफ्तारी से बचने की जुगत है। उन्होंने अपनी अग्रिम जमानत के लिए बारासात की स्पेशल सीबीआई कोर्ट में गत शुक्रवार को याचिका लगाई थी, लेकिन त्रुटिपूर्ण याचिका होने की वजह से उन्हें जमानत नहीं मिली थी। इसके बाद सोमवार को याचिका लगाने को कहा गया था, लेकिन कोर्ट के एक अधिवक्ता की मृत्यु हो जाने के बाद अधिवक्ताओं ने काम करना बंद कर दिया था। इधर राजीव कुमार की तलाश में सीबीआई ने अपनी एक जांच टीम को बारासात कोर्ट के बाहर लगा दिया था लेकिन कुमार नहीं पहुंचे। अब स्पष्ट है कि अधिवक्ताओं ने काम करना बंद कर रखा है जो कम से कम पांच दिन तक चलेगा, इसलिए राजीव कुमार ने जान-बूझकर एक सप्ताह का समय लेना चाहा है ताकि न्यायालय खुलने के बाद उन्हें कम से कम अपनी अग्रिम जमानत के लिए समय मिल सके। लेकिन अब सीबीआई स्पष्ट कर चुकी है कि उन्हें कोई समय नहीं दिया जाएगा।