जयपुर, 25 जुलाई (हि.स.)। प्रदेश में चल रहे राजनीतिक संकट के बीच कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद डोटासरा के आह्ववान पर शनिवार को कांग्रेस कार्यकर्ता पूरे राज्य में सड़कों पर उतरे। कार्यकर्ताओं ने सरकार गिराने की भारतीय जनता पार्टी की कथित साजिश के खिलाफ प्रत्येक जिला मुख्यालय पर सुबह 11 बजे धरना प्रदर्शन किया। कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा राज्य में लोकतंत्र की हत्या कर रही है। इधर विधानसभा का सत्र बुलाने के लिए राज्यपाल कलराज मिश्र की ओर से कैबिनेट के प्रस्ताव पर आपत्तियां लगाने के बाद उनके निस्तारण के लिए कांग्रेस विधायक दल की बैठक होटल फेयरमोंट में शनिवार दोपहर हुई। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में सरकार के प्रस्ताव पर राज्यपाल की ओर से लगाई गई छह आपत्तियों पर विस्तार से चर्चा की गई। मुख्यमंत्री विधायक दल और कैबिनेट की बैठक के बाद नए प्रस्ताव के साथ राज्यपाल से दोपहर बाद मुलाकात करेंगे।
राजस्थान उच्च न्यायालय की ओर से शुक्रवार को स्पीकर सीपी जोशी की ओर से सचिन पायलट समेत बागी 19 विधायकों को दिए गए नोटिस पर यथास्थिति बनाए रखने के आदेश के बाद राजस्थान का सियासी घटनाक्रम लगातार बदलता रहा। गुरुवार रात जल्द विधानसभा सत्र बुलाए जाने के केबिनेट के फैसले की जानकारी भेजे जाने के बावजूद राज्यपाल को निर्णय नहीं लिए जाने के बाद मुख्यमंत्री ने राजभवन में समर्थित विधायकों के साथ पांच घंटे धरना दिया। देर शाम कांग्रेस पर्यवेक्षक रणदीप सुरजेवाला ने राज्यपाल से मुलाकात की। इस दौरान राज्यपाल ने उन्हें सत्र बुलाने के लिए भेजे गए केबिनेट नोट पर कुछ आपत्तियां बताकर नए सिरे से प्रस्ताव भेजने को कहा।
मुख्यमंत्री गहलोत विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने पर अड़े हैं। उन्होंने शुक्रवार देर रात 12.30 बजे तक कैबिनेट की बैठक की। तीन घंटे चली बैठक में राज्यपाल कलराज मिश्र की आपत्तियों पर चर्चा की गई। सत्र बुलाने पर राजभवन ने 6 आपत्तियां लगाई हैं। इसमें सत्र किस तारीख से बुलाना है, इसका ना कैबिनेट नोट में जिक्र था और ना ही कैबिनेट ने अनुमोदन किया। अल्प सूचना पर सत्र बुलाने का ना तो कोई औचित्य बताया-ना ही एजेंडा। सामान्य प्रक्रिया में सत्र बुलाने के लिए 21 दिन का नोटिस देना जरूरी होता है।
सरकार को यह भी तय करने के निर्देश दिए हैं कि सभी विधायकों की स्वतंत्रता और उनकी स्वतंत्र आवाजाही भी तय की जाए। कुछ विधायकों की सदस्यता का मामला हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में है। इस बारे में भी सरकार को नोटिस लेने के निर्देश दिए हैं। कोरोना को देखते हुए सत्र कैसे बुलाना है, इसकी भी डिटेल देने को कहा है। हर काम के लिए संवैधानिक मर्यादा और नियम, प्रावधानों के मुताबिक ही कार्यवाही हो। सरकार के पास बहुमत है तो विश्वास मत के लिए सत्र बुलाने का क्या मतलब है। विधायक दल की बैठक में इन्हीं आपत्तियों पर चर्चा हो रही है।