मुख्यमंत्री गहलोत के वीसी कक्ष में राष्ट्रीय ध्वज और अशोक स्तंभ का अपमान
जयपुर, 05 जून (हि.स.)। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के वीडियो कांफ्रेसिंग कक्ष में राष्ट्रीय ध्वज और राजकीय प्रतीक चिह्न अशोक स्तंभ का अपमान करने का मामला सामने आया है। इसी कक्ष से मुख्यमंत्री प्रतिदिन वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिये राज्य के आला अधिकारियों और जनप्रतिधियों से रूबरू होते हैं लेकिन किसी का भी ध्यान राजकीय प्रतीक के विकृत रूप पर नहीं गया है। यहां तक कि वीसी कक्ष में रोज बैठने वाले वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों ने भी अनदेखी की। आखिर इतने महत्वपूर्ण स्थान के लिए राजकीय प्रतीक की कृति के चयन में ऐसी चूक कैसे हुई?
मुख्यमंत्री के वीडियो कांफ्रेसिंग कक्ष में जहां मुख्यमंत्री की कुर्सी लगी है, उसके पीछे तीन तस्वीरें लगी है। इनमें एक तस्वीर में पहली तस्वीर #राजस्थान_सतर्क-है, दूसरी तस्वीर राजकीय प्रतीक अशोक के सिंह स्तंभ और तीसरी निरोगी राजस्थान की है। सिंह स्तंभ वाली तस्वीर राष्ट्रीय ध्वज के ऊपर लगाई गई है और इस पर राजस्थान सरकार लिखा गया है। सिहों के नीचे आधार में दो अश्वों को आमने- सामने चौकड़ी भरते हुए दिखाया गया है, इनके बीच में चक्र बना हुआ है जो गलत है। दरअसल भारत सरकार द्वारा 26 जनवरी, 1950 को अपनाए चिह्न में पट्टी के मध्य में उभरी हुई नक्काशी में चक्र है, जिसके दाईं ओर एक वृषभ और बाईं ओर एक गतिमान अश्व है। दाएं तथा बाएं छोरों पर अन्य चक्रों के किनारे हैं। आधार का पदम छोड़ दिया गया है। फलक के नीचे मुण्डकोपनिषद का सूत्र ‘सत्यमेव जयते’ देवनागरी लिपि में अंकित है, जिसका अर्थ है- ‘सत्य की ही विजय होती है’। स्तंभ में केवल तीन सिंह दिखाई पड़ते हैं, चौथा दिखाई नहीं देता।
भारतीय संविधान और ध्वज विशेषज्ञ ज्ञानप्रकाश कामरा के अनुसार राष्ट्रीय ध्वज पर अशोक स्तंभ नहीं बन सकता। ऐसा करके राष्ट्रीय ध्वज को विकृत किया गया है। केसरिया, सफेद और हरे रंग की पट्टियों पर अगर चक्र लग जाए तो राष्ट्रीय ध्वज बन जाता है। अशोक स्तंभ के पीछे चक्र को छुपाया गया है। अशोक स्तंभ के आधार में एक तरफ गतिमान अश्व और दूसरी तरफ वृषभ होता है। राष्ट्रीय प्रतीक की तस्वीर भी कानून के अनुसार नहीं है। ध्वज अपमान के लिए राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम 1971 के अनुसार तीन साल की कैद या जुर्माना अथवा दोनों की सजा का प्रावधान है।
गौरतलब है कि भारत का राजचिह्न सारनाथ स्थित अशोक के सिंह स्तंभ की अनुकृति है, जो सारनाथ के संग्रहालय में सुरक्षित है। मूल स्तंभ में शीर्ष पर चार सिंह हैं, जो एक-दूसरे की ओर पीठ किए हुए हैं। इसके नीचे घंटे के आकार के पदम के ऊपर एक चित्र वल्लरी में एक हाथी, चौकड़ी भरता हुआ अश्व, वृषभ तथा सिंह की उभरी हुई मूर्तियां हैं, इसके बीच-बीच में चक्र बने हुए हैं। सिंह स्तंभ के ऊपर ‘धर्मचक्र’ रखा हुआ है।