रजनीकांत के फिल्मी सफर की शुरुआत कुछ यूं हुई
नई दिल्ली, 01 अप्रैल (हि.स.)। साल 2019 का दादा साहेब पुरस्कार दक्षिण भारत के जिस सुपरस्टार रजनीकांत देने की घोषणा हुई है, उनका फिल्मी सफर बड़ा रोचक है। चलिए जानते हैं कि रजनीकांत का फिल्मों से नाता कैसे जुड़ा और कैसे वे दक्षिण भारत में थलइवा के रूप में लोगों के दिलों में बस गए —
सुपरस्टार रजनीकांत का जन्म 12 दिसंबर, 1950 को बंगलुरू में हुआ। उनके प्रति लोगों की दीवानगी इस हद तक है कि तमिलनाडु में लोग उन्हें ‘भगवान’ मानते हैं। रजनीकांत की फिल्में सुबह साढ़े तीन बजे तक रिलीज हो जाती हैं। कुली से सुपरस्टार बनने वाले रजनीकांत कभी यहां तक नहीं पहुंच पाते, अगर उनके दोस्त राज बहादुर ने उनके अभिनेता बनने के सपने को जिंदा न रखा होता। अपने पिता रामोजी राव की चार संतानों में शिवाजी राव गायकवाड़ (रजनीकांत) सबसे छोटे हैं। जब वे पांच साल के थे, तभी उनकी मां जीजाबाई का निधन हो गया था। घर के हालात खराब हो रहे थे, जिसकी वजह से रजनीकांत को कुली तक का काम करना पड़ा। जब वे बड़े हुए तो मुंबई की बस में कंडक्टर की नौकरी करने लगे। रजनीकांत अभिनेता बनना चाहते थे। उनके इस सपने को दोस्त राज बहादुर ने जिंदा रखा और उन्होंने ही रजनीकांत को मद्रास फिल्म इंस्टिट्यूट में दाखिला लेने के लिए कहा। रजनीकांत आगे बढ़ते गए और फिर फिल्मों में काम करने लगे।
अपूर्वा रागनगाल फिल्म से की शुरुआत
रजनीकांत ने अपने करियर की शुरुआत साल 1975 में रिलीज हुई फिल्म ‘अपूर्वा रागनगाल’ से की थी। इस फिल्म में उनके अलावा कमल हासन और श्रीविद्या जैसे बड़े स्टार्स ने भी काम किया था। रजनीकांत ने अपने करियर के शुरुआती दिनों में निगेटिव भूमिका निभाई। पहली बार रजनीकांत ने फिल्म ‘भुवन ओरु केल्विकुरी’ में हीरो की भूमिका निभाई थी। उनकी फिल्म ‘बिल्ला’ बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट रही और इसी ने रजनीकांत को लोगों की नजरों में ला दिया। साल 1983 में उन्होंने बॉलीवुड में भी कदम रखा। उनकी पहली हिंदी फिल्म ‘अंधा कानून’ थी। रजनीकांत ने इसके बाद सिर्फ तरक्की की सीढ़ियां चढ़ीं। कुछ साल पहले उनकी फिल्म रोबोट ने भी देश विदेश में खूब तारीफ बटोरी। आज वे दक्षिण भारतीय सिनेमा के सबसे बड़े स्टार कहे जाते हैं।
राजनीति से किया किनारा
रजनीकांत ने साल 2018 में राजनीति में आने का मन बनाया था। साल 2021 में होने वाले तमिलनाडु विधान सभा चुनाव में उनकी भागीदारी अहम मानी जाने लगी थी। उन्होंने अपनी राजनीतिक पार्टी बनाने की भी घोषणा की, लेकिन फिर स्वास्थ्य कारणों से राजनीति से किनारा कर लिया।
देविका रानी को मिला था पहला दादा साहेब पुरस्कार
दादा साहेब फाल्के पुरस्कार साल 1969 में भारतीय सिनेमा के पितामह दादासाहेब फाल्के की जन्मशती वर्ष के अवसर पर शुरू हुआ था। दादा साहब फाल्के पुरस्कार विजेता को 10 लाख रुपये, स्वर्ण कमल तथा एक शॉल दिया जाता है। यह पुरस्कार सबसे पहले देविका रानी को दिया गया था। अब तक 50 फिल्मी हस्तियों को यह पुरस्कार दिया जा चुका है। इनमें आशा भोंसले, शशि कपूर, लता मंगेशकर, यश चोपड़ा, अमिताभ बच्चन, विनोद खन्ना शामिल हैं।