इस अवसर पर उपस्थित जन समूह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि राजिम एक शहर नहीं बल्कि धर्म, अध्यात्म और संस्कृति का परिचय है। पहले इस मेले में हर काम अस्थायी होता था। अब यहां आवश्यक सुविधाओं की स्थायी व्यवस्था हो, इसकी शुरूआत की गई है। इसके लिए 54 एकड़ जमीन को धार्मिक एवं सामाजिक कार्य हेतु आरक्षित किया गया है। इसे विकसित करने के लिए पर्याप्त राशि का प्रावधान किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि भगवान श्रीराम ने अपने वनवास काल के दौरान सर्वाधिक समय छत्तीसगढ़ में व्यतीत किया। राजिम से लेकर शिवरीनारायण तक कमल क्षेत्र कहलाता है। उन्होंने राम वन गमन पथ को विकसित करने के लिए किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी और कहा कि धार्मिक एवं पर्यटन महत्ता स्थानों को विकसित किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राजिम माघी-पुन्नी मेला में लगभग 10 लाख श्रद्धालु आते हैं। श्रद्धालुओं को यहां बेहतर सुविधा मिल सके यह शासन-प्रशासन का प्रयास होगा। मुख्यमंत्री ने इस मौके पर राज्य में सभी वर्गों की खुशहाली के लिए प्रदेश सरकार द्वारा किए जा रहे कार्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि किसानों की खुशहाली और समृद्धि के लिए राज्य में कई अभिनव योजनाएं शुरू की गई है।
मुख्यमंत्री ने इस मौके पर राजिम पुन्नी मेला की धार्मिक महत्ता को देखते हुए विधायक अमितेष शुक्ल के आग्रह पर राजिम मेला के दौरान राजिम सहित आसपास के इलाके की शराब दुकानों को 15 दिन तक बंद रखे जाने की घोषणा की। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस मौके पर राजिम पुन्नी मेला देखने बचपन में बैलगाड़ी से आने का उल्लेख करते हुए कहा कि इस मेले के आयोजन की परंपरा सदियों से है। उन्होंने कहा कि पिछले 15 सालों के दौरान यहां आयोजित होने वाले राजिम पुन्नी मेले की धार्मिक महत्ता, परंपरा और संस्कृति को भुला दिया गया था। इस मेले के स्वरूप को बिगाड़ने का प्रयास किया गया था। उन्होंने इस मौके पर गरियाबंद कलेक्टर द्वारा छत्तीसगढ़ी में प्रतिवेदन पढ़ने पर प्रसन्नता जताई और कहा कि मंत्रालय में भी अधिकारी-कर्मचारी छत्तीसगढ़ी में बातचीत करते हैं। यह छत्तीसगढ़ी को बढ़ावा देने के लिए किए जा रहे प्रयासों का परिणाम है।