कोलकाता, 17 दिसम्बर (हि.स.)। पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता समेत राज्य भर में पिछले चार दिनों नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ मुस्लिम समुदाय का हिंसक विरोध प्रदर्शन जारी है। मूल रूप से रेलवे, राष्ट्रीय राजमार्ग समेत अन्य केंद्र सरकार की संपत्तियों को निशाना बनाया जा रहा है। इस बीच रविवार को हुए सबसे अधिक हिंसक आंदोलन के दौरान रेलवे कर्मियों के डर की तस्वीरें सामने आई है। पता चला है कि स्टेशन मास्टर समेत अन्य रेलवे कर्मचारियों ने उस दिन अपने जीवन का सबसे बदतर समय बिताया था। अपनी जान बचाने के लिए डर के मारे सारे कर्मचारी घंटों तक शौचालय में छिपे रहे।
प्रदर्शनकारियों ने उस दिन पूर्व रेलवे के अंतर्गत आंकड़ा स्टेशन पर आग लगा दी थी। जो कुछ भी उनके हाथ लग रहा था उन सब में आग लगाते जा रहे थे। उसी दौरान की यह घटना है। रेलवे के एक वाणिज्यिक कर्मचारी ने कहा, “हम अपनी जान बचाने के लिए शौचालय में छिप गए। अन्य अधिकारियों के साथ स्टेशन मास्टर भी छिपे हुए थे। वे भयानक क्षण थे। बाहर बहुत हंगामा हो रहा था। स्टेशन पर सब कुछ जलाया जा रहा था और आग लगा दी गई थी।” यह सब लगभग सुबह 10.30 बजे शुरू हुआ, जब नागरिकता विरोधी प्रदर्शनकारियों का एक समूह ट्रेनों की आवाजाही को रोकते हुए पटरियों पर इकट्ठा हो गया। जल्द ही उन्होंने स्टेशन पर ट्रेनों पर हमला करना शुरू कर दिया। बजबज जा रही सियालदह लोकल के ड्राइवर को उसके केबिन से बाहर निकाल दिया गया था। इस पूरी वारदात का खुलासा करते हुए ट्रेन के चालक ने बताया है, “पटरियों पर एक लोगों की भीड़ को देखते हुए, मैंने ट्रेन रोक दी। फिर उन्होंने मुझे केबिन छोड़ने के लिए कहा। जब मैंने अपने अधिकारियों को सूचित किया, तो उन्होंने मुझे अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कहा।”
इसके बाद भीड़ ने ड्राइवर के केबिन पर हमला किया, डंडों और पत्थरों से कोच की खिड़की के शीशे तोड़ दिए और सीट भी फाड़ने लगे। बाद में, उन्होंने स्टेशन अधीक्षक के कार्यालय में तोड़फोड़ की, टिकट बुकिंग काउंटर पर हमला किया और हंगामा किया और टिकट वेंडिंग मशीनों को पटरियों पर फेंक दिया। रेलवे कर्मचारियों ने काउंटर के शटर गिराकर भीड़ के उपद्रव से बचने की कोशिश की लेकिन प्रदर्शनकारियों ने इलेक्ट्रिक पोस्ट के साथ शटर तोड़ दिया और काउंटर को आग लगा दी। रेलवे कर्मचारी, रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के जवानों के साथ, शौचालय में छिपकर अपनी जान बचाने के लिए छिप गए थे। जब फायर टेंडर पहुंचे, तो वे स्टेशन के बाहर लगाए गए अवरोधक में फंस गए। जब आखिरकार, दमकलकर्मी मौके पर पहुंचे, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले दागने पड़े और लाठी चार्ज करना पड़ा। एक पुलिस अधीक्षक (डीएसपी) और महेशतला पुलिस स्टेशन के प्रभारी निरीक्षक सहित पांच पुलिसकर्मी घायल हो गए। जब तक पूरी तरह से भीड़ छंट नहीं गई तब तक सारे रेलवे कर्मचारी शौचालय में ही छिपे रहे।