पटना, 30 अगस्त (हि.स.) । वैशाली से आने वाले बाहुबली नेता व पूर्व सांसद रामा सिंह के साथ लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव की हेकड़ी एक अख्खड़ समाजवादी नेता के सामने गुम हो जा रही है। रघुवंश बाबू और रामा सिंह के बीच चल रहा यह ड्रामा अब राजद सुप्रीमो सहित पार्टी की कमान संभाल रहे तेजस्वी यादव पर भी भारी पड़ने लगा है। रघुवंश प्रसाद सिंह की राजनीतिक चाल के आगे बाहुबली रामा सिंह का सारा प्लान धरा का धरा रह गया है।
अब बड़ा सवाल यह है की देश के वरिष्ठ समाजवादी नेता और वैशाली से पांच बार सांसद रह चुके रघुवंश प्रसाद सिंह को वैशाली से ही आने वाले बाहुबली सांसद रामा सिंह से आखिर क्या खुन्नस है, जो उन्हें राजद में आने ही नहीं देना चाहते? आखिर रघुवंश बाबू की किस घुड़की पर राजद सुप्रीमो को सांप सूंघ रहा है? गौरतलब है कि रामा सिंह राबड़ी देवी से मिलकर तेजस्वी यादव से इजाजत लेकर दो बार पार्टी में इंट्री का ऐलान कर चुके हैं लेकिन रघुवंश बाबू हैं कि मानते ही नहीं। गौरतलब है कि जब पहली दफा रामा सिंह ने राजद में अपनी एंट्री का ऐलान किया और तेजस्वी यादव ने हामी भरी तो उस दौरान रघुवंश बाबू एम्स में कोरोना का इलाज करवा रहे थे। यह खबर जैसे ही उनके कानों तक पहुंची, वह बिदक गए और कहा कि अगर ऐसा हुआ तो मैं तत्काल इस्तीफा दे दूंगा। बस फिर क्या था, लालू प्रसाद ने तेजस्वी यादव को कह कर रामा सिंह के एंट्री पर विराम लगा दिया। इस बार फिर जब रामा सिंह ने राबड़ी देवी से मुलाकात कर 29 अगस्त को पार्टी में एंट्री का ऐलान किया और तेजस्वी यादव ने मीडिया के सामने हामी भरी तो उस समय भी रघुवंश बाबू दिल्ली के अस्पताल में अपना इलाज करा रहे थे। यह बात जैसे ही उन तक पहुंची तो उन्होंने फिर से एक बार इस्तीफे वाली घुड़की दे दी। फिर क्या था, राजद सुप्रीमो ने तेजस्वी को कहकर रामा सिंह की एंट्री पर विराम लगा दिया। अब बड़ा सवाल यह है की रघुवंश बाबू को आखिर राजद सुप्रीमो नाराज क्यों नहीं करना चाहते। बता दें कि लालू प्रसाद से रघुवंश बाबू की दोस्ती करीब चार दशक पुरानी है। इस समाजवादी नेता ने कभी भी लालू का साथ नहीं छोड़ा। चारा घोटाले में फंसने के बाद भी बराबर रघुवंश बाबू लालू प्रसाद की वकालत करते रहे। राष्ट्रीय जनता दल से ही लगातार पांच बार वैशाली से सांसद भी चुने जा चुके हैं। वैशाली से ही रामा सिंह वर्ष 2014 में रघुवंश बाबू को हराकर लोजपा के टिकट पर सांसद चुने गए थे।