पटना, 24 अगस्त (हि.स.) । पूर्व सांसद रामा सिंह को राजद में शामिल किए जाने की चर्चा से नाराज चल रहे राजद के कद्दावर नेता रघुवंश प्रसाद सिंह अपने फैसले पर अडिग हैं। वह उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा वापस नहीं लेंगे।
बिहार विधानसभा चुनाव करीब आते ही राजद नेतृत्व ने अपने पुराने नेता को मनाने की कोशिश की, लेकिन यह कोशिश नाकाम हो गई है। विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने इस संबंध में रघुवंश बाबू से मुलाकात की थी। इसके बाद भी रघुवंश बाबू ने अपना फैसला न बदलने की बात कही। रघुवंश प्रसाद सिंह ने कहा कि अभी तो मैं अस्पताल में हूं। मैंने उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा वापस नहीं लिया है। अभी इस संबंध में कोई फैसला नहीं किया है। अस्पताल से छुट्टी मिलती है तो मीडिया को इस संबंध में विस्तार से जानकारी दूंगा।
रामा सिंह की राजद में एंट्री की बात से नाराज हैं रघुवंश बाबू
रघुवंश प्रसाद की गिनती लालू प्रसाद के सबसे करीबी और राजद के दूसरे नंबर के नेता के रूप में होती रही है। चारा घोटाला मामले में सजा होने के बाद से लालू रांची में हैं। पार्टी का नेतृत्व अब उनके छोटे बेटे तेजस्वी यादव के हाथ में है। रामा सिंह और रघुवंश सिंह दोनों वैशाली जिले के हैं। दोनों नेताओं के बीच राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता किसी से छिपी नहीं है। रामा सिंह ने वैशाली से लोकसभा चुनाव 2014 लोजपा से टिकट पर लड़ा था। इस दौरान उन्होंने राजद के रघुवंश प्रसाद सिंह को शिकस्त दी थी। इसके बाद 2019 के चुनाव के दौरान पार्टी ने उनकी जगह वीणा देवी की टिकट दे दिया। तभी से यह कयास लगाए जा रहे थे कि आने वाले दिनों में रामा सिंह लोजपा को अलविदा कहने के बाद कोई बड़ी पार्टी ज्वाइन कर सकते हैं। 22 जून को तेजस्वी यादव की मुलाकात रामा सिंह से हुई थी। इसके बाद रामा सिंह के राजद ज्वाइन करने की चर्चा शुरू हो गई। अपने धुर विरोधी के राजद में शामिल कराने की कोशिश से नाराज रघुवंश प्रसाद ने 23 जून को राजद के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। बाद में लालू ने इस मामले में दखल दिया और तेजस्वी को अपना फैसला बदलना पड़ा। फिलहाल, राजद में रामा सिंह की एंट्री को टाल दिया गया है।