फिर चीन-पाकिस्तान को ‘​बड़ा और कड़ा​’ ​संदेश

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फ्रांस को भारतीय रक्षा क्षेत्र में निवेश करने के लिए भी ​किया ​आमंत्रित​- ​हमें प्रायोजित आतंकवाद के खतरे को भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए



नई दिल्ली, 10 सितम्बर (हि.स.)।​​​ ​रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ​ने​ कहा है कि मुझे आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि ​​​राफेल ​की ​क्षमताओं और तकनीकी बढ़त से ​​हमारी वायु सेना ​की ​ताकत बढ़ी है​।​ आज इनका​ वायुसेना में शामिल होना पूरी दुनिया, ख़ासकर हमारी संप्रभुता की ओर उठी निगाहों के लिए एक ​’​बड़ा और कड़ा​’ ​संदेश है। हमारी सीमाओं पर जिस तरह का माहौल हाल के दिनों में बना है, या मैं सीधा ​कहूं कि बनाया गया है, उनके लिहाज़ से यह बहुत महत्वपूर्ण है।​​ हम यह अच्छी तरह से समझते हैं कि बदलते समय के साथ हमें स्वयं को भी तैयार करना होगा​​​​। ​उन्होंने भारतीय वायुसेना के सहयोगियों को बधाई ​देते हुए कहा कि चीन सीमा पर हाल में हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटना के दौरान जिस तेजी से और ​सूझ-बूझ के साथ कार्रवाई की, वह आपकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है​।
अम्बाला एयर बेस पर राफेल लड़ाकू विमानों को औपचारिक रूप से वायुसेना में शामिल किए जाने के मौके पर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने सबसे पहले फ्रांस ​की रक्षामंत्री फ्लोरेंस पार्ली का अपने और देशवासियों की ओर से गर्मजोशी से स्वागत ​किया​​।​ उन्होंने कहा कि इस ​कार्यक्रम में आपकी उपस्थिति हमारी मजबूत रक्षा साझेदारी को दर्शाती है, जो वर्षों से चली आ रही है​​​​​। ​​वायु सेना में ‘राफेल’ का शामिल होना​ ​एक महत्त्वपूर्ण और ​ऐतिहासिक क्षण है​​​​।​ हम सब देशवासियों के लिए इस ऐतिहासिक पल का गवाह बनना गौरव का विषय है​​।​ इस अवसर पर मैं सशस्त्र सेना​ओं, पूरे देशवासियों को हार्दिक बधाई और शुभकामना​ देता हूं​​​।​
​​मुझे यह कहते हुए गर्व होता है कि हमारी ​राष्ट्रीय सुरक्षा प्रधानमंत्री​ ​नरेन्द्र मोदी की बड़ी प्राथमिकता रही है​​। ​​​जिस ताकत को आज हम अपनी ​आंखों​ से देख पा रहे हैं, उसे पाने की राह में अनेक अड़चने भी आईं परन्तु प्रधानमंत्री ​मोदी की मजबूत इच्छाशक्ति के सामने वे सभी नेस्तनाबूत होती गईं, और हमारा मार्ग प्रशस्त होता गया। यह उन्हीं की दूरदर्शी दृष्टि का परिणाम है जिसे हम आज फलीभूत होता देख रहे हैं​​​​।​ उन्होंने कहा कि मैं अपने साथी देश ​​फ्रांस को भारतीय रक्षा क्षेत्र में निवेश करने के लिए भी आमंत्रित करता हूं​​। हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ​के आत्मनिर्भर पहल के आह्वान पर सरकार ने इस दिशा में कई प्रगतिशील और सकारात्मक कदम उठाए हैं​​।​ सामरिक-साझेदारी मॉडल के तहत रक्षा उपकरण की विनिर्माण, स्वचालित मार्ग के द्वारा 74 प्रतिशत तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु राज्यों में दो रक्षा गलियारों की स्थापना, ऑफसेट सुधार इस दिशा में उठाए गए बड़े कदम हैं।​
​उन्होंने कहा कि राफेल का ​वायुसेना के बेड़े में शामिल होना भारत और फ्रांस के बीच के प्रागढ़ ​संबंधों को दर्शाता है​​।​ भारत और फ्रांस लंबे समय से आर्थिक, सांस्कृतिक और रणनीतिक साझेदार रहे हैं। मजबूत लोकतंत्र के प्रति हमारी आस्था और सम्पूर्ण विश्व में शांति की कामना, हमारे आपसी ​संबंधों के आधार हैं​​​​। ​आज, दुनिया में सुरक्षा के साथ-साथ, आर्थिक और भू-रणनीतिक मुद्दे नए-नए रूपों में हमारे सामने आ रहे हैं। इनका लगातार सामना करते हैं, हम दो बड़े लोकतंत्र, एक स्थायी, सक्रिय, और भविष्य उन्मुख संबंध बनाने और बढ़ाने में कामयाब रहे हैं​​​​।​​ ​हमने न सिर्फ एक दूसरे की जरूरतों और चुनौतियों को गहराई से समझा है, बल्कि उनसे पार पाने की दिशा में कदम से कदम मिला कर आगे बढ़ रहे हैं​​।​​​
​रक्षामंत्री ने कहा कि हम दोनों देश ‘लिबर्टी’, ‘इक्वलिटी’, ‘बिरादरी’ और ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के सार्वभौमिक ​सिद्धांतों को मजबूत करने और पूरी दुनिया में इसे प्रसारित करने के लिए भी प्रतिबद्ध ​हैं​​।​​ ​भारत और फ्रांस के बीच एक विशेष रणनीतिक साझेदारी है, जो समय के साथ लगातार मजबूत हो रही है। भारत की स्वाधीनता के बाद हमारे देश और फ्रांस के बीच जीवंत रक्षा सहयोग विकसित हुआ है​​​।​​​​​ राजनाथ सिंह ने कहा कि आपसी रक्षा सहयोग से हमारी वायु सेना ने फ्रांसीसी लड़ाकू विमान से अपने आपको न सिर्फ सुसज्जित किया है बल्कि कई अभियानों को सफलतापूर्वक अंजाम भी दिया है। 1965 के युद्ध में पाकिस्तान के खिलाफ़ हमारी विजय इस बात का गवाह है​​। ​इसके बाद वायुसेना ने 1999 में कारगिल में भी इतिहास बनाया​​​​।​ भारतीय वायु सेना सैन्य निरोध बनाए रखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और आपकी कार्रवाई किसी भी खोजी युद्ध में निर्णायक होगी। जहां एक ओर हमारी भौगोलिक सीमाओं पर कायम परिस्थिति ने हमारा ध्यान खींचा है, ​​हमें प्रायोजित आतंकवाद के खतरे को भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
​हमारी जिम्मेदारि​यां केवल अपनी क्षेत्रीय ​सीमाएं तक ही सीमित नहीं हैं, हम भारत-प्रशांत क्षेत्र और हिंद महासागर क्षेत्र में भी लगातार एक जिम्मेदार देश के रूप में विश्व शांति और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ परस्पर सहयोग के लिए प्रतिबद्ध हैं​​।​ मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि इस क्षेत्र की सुरक्षा चिंताओं में, भारत और फ्रांस का दृष्टिकोण एक है जिनके तहत हम समुद्री यातायात सुरक्षा और समुद्री डकैती जैसे आम चुनौतियों से निपटने में एक दूसरे को सहयोग कर रहे हैं।​ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के विस्तार और आतंकवाद के खिलाफ़ लड़ाई में भी भारत और फ्रांस के विचार ​एक ​हैं​​। ​हाल ​की मास्को यात्रा में मैंने भारत के दृष्टिकोण को विश्व के सामने रखा। ​मैंने भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को किसी भी परिस्थिति में प्रतिबद्ध नहीं करने के संकल्प से भी सबको अवगत कराया और इसके लिए हम हरसंभव तैयारी करने के लिए दृढ़ संकल्पित ​हैं​​​।

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