नई दिल्ली, 17 दिसम्बर (हि.स.)। पश्चिमी और पूर्वी मोर्चों पर ’टू फ्रंट वार’ की तैयारियों के बीच राफेल फाइटर जेट की मिसाइल स्कैल्प को पहाड़ी इलाकों में अटैक करने के लिहाज से अपग्रेड किया जा रहा है। इसका सॉफ्टवेयर अपडेट करने के लिए निर्माता कंपनी एमबीडीए को वापस भेजा गया है ताकि इस सबसोनिक हथियार के जरिये समुद्र तल से 4,000 मीटर की ऊंचाई तक निशाना लगाया जा सके। हवा से सतह पर मार करने वाली 300 किलोमीटर से अधिक दूरी तक 450 किलोग्राम के वारहेड ले जाने वाली यह मिसाइल राफेल का हिस्सा है।
लड़ाकू विमान राफेल में हवा से हवा में मार करने वाली तीन तरह की मिसाइल लगाई गई हैं, जिनमें मीटियोर, स्कैल्प और हैमर मिसाइलें हैं। भारतीय वायुसेना को पहले बैच में 29 जुलाई को मिले पांच राफेल लड़ाकू विमानों में मीटियोर और स्कैल्प मिसाइल लगाकर ऑपरेशनल करके कई मोर्चों पर तैनात किया गया है। राफेल में अभी जो मिसाइलें लगी हैं, वो सीरिया, लीबिया जैसी जगहों में इस्तेमाल हो चुकी हैं। 300 किलोमीटर की रेंज वाली हवा से सतह पर मार करने वाली स्कैल्प मिसाइल राफेल को सबसे ज्यादा मारक बनाती है। इसके अलावा मीटियोर मिसाइल का एयर-टू-एयर निशाना अचूक है। राफेल में लगने वाली हैमर मिसाइल भी काफी खतरनाक है, जिसे जीपीएस के बिना भी 70 किलोमीटर की रेंज से लॉन्च किया जा सकता है।
भारतीय वायुसेना का राफेल अब तक स्कैल्प मिसाइल से 2,000 मीटर की ऊंचाई तक के पहाड़ों और उच्च पठारों में स्थित लक्ष्यों को ध्वस्त कर सकता था लेकिन अब इसे 4 हजार मीटर की ऊंचाई पर अटैक करने की क्षमता वाला बनाया जा रहा है। इसके लिए स्कैल्प मिसाइल के सॉफ्टवेयर में बदलाव करने के लिए मिसाइल निर्माता कंपनी एमबीडीए से वायुसेना के शीर्ष अधिकारियों ने परामर्श किया है। इसका सॉफ्टवेयर अपडेट करने के लिए निर्माता कंपनी एमबीडीए को वापस भेजा गया है ताकि इस सबसोनिक हथियार के जरिये समुद्र तल से 4 हजार मीटर की ऊंचाई तक निशाना लगाया जा सके। हवा से सतह में मार करने वाली स्कैल्प मिसाइल का इस्तेमाल कमांड, कंट्रोल, कम्युनिकेशन, एयर बेस, पोर्ट, पावर स्टेशन, गोला बारूद स्टोरेज डिपो, सरफेस शिप, सबमरीन और अन्य रणनीतिक हाई-वैल्यू टारगेट को टारगेट करने के लिए किया जाता है।
इस मिसाइल की खासियत है कि एक बार फाइटर से लॉन्च करने के बाद दुश्मन के राडार और जैमिंग सिस्टम से बचने के लिए जमीन से 100 से 130 फीट के बीच आ जाती है। लक्ष्य के करीब पहुंचने से पहले मिसाइल फिर से 6,000 मीटर की अधिकतम ऊंचाई तक जाती है और फिर सीधा लक्ष्य पर गिरती है। चीन और पाकिस्तान के मोर्चों पर पहाड़ी इलाकों की रक्षा करने के लिए सबसे खराब स्थिति में वायुसेना की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होगी। दुश्मन की लड़ाई की शक्ति को कम करने के लिए स्कैल्प मिसाइल की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। इसीलिए इसका सॉफ्टवेयर अपडेट करने के लिए फ्रांसीसी निर्माता को वापस भेजा है ताकि इस सबसोनिक हथियार के जरिये समुद्र तल से 4,000 मीटर की ऊंचाई तक निशाना लगाया जा सके।
अब तक 8 राफेल फाइटर जेट भारत आ चुके हैं। फ्रांस में वायुसेना के पायलटों को प्रशिक्षित करने के लिए सात राफेल का उपयोग किया जा रहा है। 36 विमानों का पूरा बेड़ा 2021 के अंत तक भारत को मिलेगा। इस शक्तिशाली लड़ाकू विमान की एक स्क्वाड्रन अंबाला में तो दूसरी सिलीगुड़ी कॉरिडोर पर स्थित हसीमारा एयरबेस पर होगी। अगले बैच में तीन राफेल विमान गणतंत्र दिवस के बाद आने की उम्मीद है।